Book Title: Bindu me Sindhu Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay View full book textPage 6
________________ भूमिका जैन वाङमय तथा दर्शन के प्रतिष्ठित विद्वान एवं मौलिक साहित्य के प्रणेता श्री देवेन्द्रमुनि जी की प्रस्तुत कृति लघु कथाओं तथा रूपकों के माध्यम से जगत एवं जीवन के कतिपय महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के सुविचारित समाधान की दिशा में एक विशिष्ट प्रयास हैं। अनेक महापुरुषों के जीवन-प्रसंगों से भावसुमन संकलित कर उन्होंने आधुनिक मानव के मन में उत्पन्न होने वाली द्विविधाओं तथा आशंकाओं के सन्दर्भ में विचारों की यह रत्नराशि सम्पादित की है। वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथसाथ मानव-मन दिन-प्रतिदिन अशांत, क्षुब्ध एवं निष्प्राण होता जा रहा है । सुख, संतोष एवं समाधान की त्रिवेणी मानव-जीवन की नीरस बालुका-राशि में तिरोहित होती जा रही है। विचारधाराओं का पारस्परिक संघर्ष चरमस्थिति पर पहुँच कर बिखराव तथा टूटन का शिकार बन रहा है। ऐसी स्थिति में ज्ञान के किसी भी वातायन से सुखद-समीर के आने पर मन की प्रसन्नता स्वाभाविक है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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