Book Title: Bhudhar Bhajan Saurabh
Author(s): Tarachand Jain
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ ३९ ४ ४८ ४ ३०. मेरे चारों शरन सहाई ३१. भवि देखि छबि भगवान की ३२. जिनराज चरन मन मति बिसरै ३३. जिनराज ना विसारो । ३४. पुलकन्त नयन चकोर पक्षी ३५. नैननि को बान परी दरसन की ३६, म्हें तो थांकी आज महिमा जानी ३७. प्रभु गुन गाय रे, यह औसर फेर न पाय रे ३८. शेष सुरेश नरेश रहै तोहि ३९. स्वामीजी सांची सरन तुम्हारी ४०. देखे देखे जगत के देव ४१. करुणा ल्यो जिनराज हमारी ४२. अहो जगतगुरु एक ४३. जै जगपूज परमगुरु नामी ४४. सुन ज्ञानी प्राणी . ४५, वे मुनिवर कब मिलि हैं उपगारी ४६. सो गुमाग इमारा गयो ४७. अब पूरी कर नींदड़ी ४८. श्री गुरु शिक्षा देत हैं ४९. भलो चेत्यो बीर नर तू ५०. बन्दी दिगम्बर गुरु चरन ५१. ते गुरु मेरे मन बसो ५२. देखो भाई, आतमदेव बिराजै ५३. तुम सुनियो साधो! ५४. अन्तर उज्जल करना रे भाई ५५. अब मेरे समकित सावन आयो ५६. और सब थोथी बातें ५७. सुनि ढगनी माया, तैं सब जग ठग खाया ५८. अज्ञानी पाप धतूरा न बोय ५१. पानी में मीन पियासी ६०. ऐसी समझ के सिर धूल ६१. चित, चेतन की यह बिरिया रे ६२. गरब नहिं कीजे रे ६७ ६८ ७१ ७५ ७८ ८०

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 133