Book Title: Bhagwati sutram Part 01
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 612
________________ व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः१ २८७ ॥३०५॥ SANSKREARRAHARE हलब्भूए समयाणुभावेण य णं खरफरुसधूलिमइला दुविसहा वाउला भयंकरा वाया संवट्टगा य वाइंति, इह ७ शतके अभिक्खं धूमाइंति य दिसा समंता रउस्सलारेणुकलुसतमपडलनिरालोगा समयलुक्खयाए यणं अहियं चंदा उद्देशः ७ सीयं मोच्छंति अहियं सूरिया तवइस्संति अदुत्तरंचणं अभिक्खणं बहवे अरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खट्टमेहा दुष्षमदुष्षअग्गिमहा विजुमेहा विसमेहा असणिमेहा अप्पवणिज्जोदगा वाहिरोगवेदणोदीरणापरिणामसलिला अमणुन्न मारकः सू पाणियगा चंडानिलपहयतिक्खधारानिवायपउर वासंवासिहिति।जेणंभारहे वासेगामागरनगरखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमागयंजणवयं चउप्पयगवेलगए खहयरे य पक्खिसंघे गामारनपयारनिरए तसेय पाणे बहुप्प|गारे रुक्खगुच्छगुम्मलयवल्लितणपव्वगहरितोसहिपवालंकुरमादीए यतणवणस्सइकाइए विद्धंसेहिंति पचयगिरिडोंगरउच्छलभट्टिमादीए वेयडगिरिवजे विरावेहिंति सलिलबिलगदुग्गविसमं निण्णुनयाई च गंगासिंधुवजाई समीकरेहिति॥तीसे णं भंते समाए भरहवासस्स भूमीए केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सति, गोयमा ! भूमी भविस्सति इंगालब्भूया मुम्मुरभूया छारियभूया तत्तकवेल्लयभूया तत्तसमजोतिभूया धूलिबहुला रेणुबहुला पंकबहुला पणगबहुला चलणिबहुला बहणं धरणिगोयराणं सत्ताणं दोनिक्कमा य भविस्सति ॥ (सूत्रं२८७)। ॥३०॥ | 'जंबुद्दीवे 'मित्यादि, 'उत्तमकढपत्ताए'त्ति परमकाष्ठाप्राप्तायाम् , उत्तमावस्थायां गतायामित्यर्थः, परमकष्टप्रा[प्तायां वा, आगारभावपडोयारे'त्ति आकारभावस्य-आकृतिलक्षणपर्यायस्य प्रत्यवतार:-अवतरणम् आकारभावप्रत्यवतार: 'हाहाभूए'त्ति हाहाइत्येतस्य शब्दस्य दुःखार्तलोकेन करणं हाहोच्यते तद्भूतः-प्राप्तो यः कालः स हाहाभूतः "भंभाभूए'त्ति oil dan Education International For Personal & Private Use Only www.iainelibrary.org

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