Book Title: Bhagwati sutram Part 01
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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छउमत्थे णं भंते ! मणूसे तीयमणंतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं एवं जहा पढमसए चउत्थे उद्देसए । तहा भाणियवं जाव अलमत्थु ॥ (सूत्रं २९३)॥से गूणं भंते! हथिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे ?, | हंता गोयमा ! हथिस्स कुंथुस्स य, एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव खुड्डियं वा महालियं वा से तेणटेणं गोय
मा ! जाव समे चेव जीवे (सूत्रं २९४)॥ __ 'छउमत्थे ण'मित्यादि, एतच्च यथा प्राग् व्याख्यातं तथा द्रष्टव्यम् ॥ अथ जीवाधिकारादिदमाह-से णूण मित्या
दि, 'एवं जहा रायप्पसेणइज्जेत्ति, तत्र चैतत्सूत्रमेवं-समे चेव जीवे, से पूर्ण भंते ! हत्थीओ कुंथू अप्पकम्मतराए चेव || &|| अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव कुंथुओ हत्थी महाकम्मतराए चेव ४ १, हंता गोयमा! । कम्हा ण भंते ।
हत्थिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे ?, गोयमा ! से जहानामए-कूडागारसाला सिया दुहओ लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा || निवाया निवायगंभीरा अहे णं केई पुरिसे पईवं च जोइं च गहाय तं कूडागारसालं अंतो २ अणुपविसेइ २ तीसे कूडा
गारसालाए सबओ समंता घणनिचियनिरन्तरनिच्छिड्डाई दुवारवयणाई पिहेति तीसे य बहुमज्झदेसभाए त पईवं पलीollवेजा, से य पईवे कूडागारसालं अंतो २ ओभासति उज्जोएइ तवइ पभासेइ नो चेव णं कूडागारसालाए बाहि, तए णं
से पुरिसे तं पईवं इड्रेणं पिहेइ, तए णं से पईवे इड्डुरस्स अंतो २ ओभासेइ नो चेव णं इड्डुरस्स बाहिं, एवं गोकिलंजएणं गंडवाणियाए पच्छिपिडएणं आढएणं अद्धाढएणं पत्थएणं अद्धपत्थएणं कुलवेणं अद्धकुलवेणं चउन्भाइयाए अट्ठभाइयाए सोलसियाए बत्तीसियाए चउसट्ठियाए, तए णं से पुरिसे तं पईवं दीवगचंपणएण पिहेइ, तए णं से पईवे
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