Book Title: Bhagvati Sutram Part 01
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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व्याख्या
प्रज्ञप्तिः
॥७॥
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रोवमाई ठिई पत्ता १ | नेरइयाणं भंते! केवड्कालस्स आणमंति वा पाणमति वा ऊससंति वा णीससंति बा है, जहा ऊसासपए २ । नेरहया पणं भंते आहारट्ठी ?, जहा पनवणाए पदमए आहारुसर तहा भाणियव्वं ३। लिई उस्साहारे किं वाऽऽहारेति ३६ सब्बओ वादि ३७ । कतिभागं १ ३८ सव्वाणि ष ३९ कीस व भुजो परिणमंति ४० १ ॥ २ ॥ (सू० १०)
अर्थः- (प्र०) हे भगवन् ! नैरयिकोनी स्थिति केटला काळनी कही छे अर्थात् तेओनुं आयुष्य केटलं होय छे ? (उ०) हे गौतम ! जघन्यथी दश हजार वर्षनी स्थिति कही छे, अने उत्कृष्टताथी तेत्रीस सागरोपमनी स्थिति कही छे. (प्र०) हे भगवन् ! नैरयिको केटला काळे श्वास ले छे ? अने केटले काळे श्वास मूके छे ? अर्थात् केटला काळे उच्छ्वास छे छे अने निःश्वास मूके छे? (उ०) हे गौतम! उच्छ्वास पदमां कथं छे तेम जाणवुं. (प्र०) हे भगवन् ! 'नैरयिको आहारार्थी छे ? (३०) हे गौतम! जेम पश्रवणाना आहारपदना पहेला उद्देशकभां कहां छे, तंम जाणी लें गाथा. -नैरयिकोनी स्थिति, उच्छ्वास तथा आहार विषयक कहेनुं, शुं तेओ आहार करे ? सर्व आत्मप्रदेशे वारंवार आहार करे ? अने आहारक द्रव्योने केवा रूपमां वारंवार परिणामावे ? ॥ १० ॥
रयाणं भंते! youाहारिया पोग्गला परिणया १ ?, आहारिया आहरिजमाणा पोग्गला परिणया २ ?, अणाहारिया आहारिजिस्समाणा पोग्गला परिणया ३१, अणाहारिया अणाहारिजिस्समाणा पोग्गला परिगया ? ४, गोयमा ! नेरइयाणं पुव्वाहारिया पोग्गला परिणया १, आहारिजमाणा पोग्गला परिणया परिण
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१ शतके उद्देशः १
॥७॥

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