Book Title: Bbhakti Karttavya
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

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Page 19
________________ श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम की अधिष्ठात्री पूज्या माताजी के "भक्ति-कर्तव्य" को मंगल आशीर्वचन ___ "भक्ति करवी ए आत्मा नो स्वाभाविक स्वभाव छे. भक्ति करतां रावणे अष्टापद पर तीर्थंकर नाम गोत्र बांध्यं छे ए सौ जाणीए छीए, छतां आपणे भक्ति करतां केम अटकीए छीऐ ? भक्ति मोटी वस्तु छे. तेनाथी मोक्षनां द्वार जोवाय छे! - लि. माताजी ना आशीर्वाद" (हिन्दी अनुवाद) ___"भक्ति करना यह आत्मा का स्वाभाविक स्वभाव है । भक्ति करते हुए रावण ने अष्टापद पर तीर्थ कर नाम गोत्र बांधा है यह सब जानते हैं. फिर भी हम भक्ति करने से क्यों रुकते हैं ? भक्ति बड़ी चीज है । उससे मोक्ष-द्वार के दर्शन होते हैं! -माताजी के आशीर्वाद"

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