Book Title: Bbhakti Karttavya
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

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Page 120
________________ शंकरे तुज रूपे अवतार धर्यो, शिवसंहिता मे ब्यान .... ऋ०. १. रत्नत्रयी त्रिशुले संहार्यो, अज्ञान - अंधकासुर ..... ऋ० खम्भे तारे लटके अलकावलि, जटा धारौ तपशूर......ऋ०. २. निर्वाणदिन अ ज महाशिवरात्री, तुं सत् चित् आनंदी .......ऋ०. अष्टापद-कैलाशवासी तुं ज, चरणे सन्मुख रहे नंदी.....ऋ०. ३. विष्णु नाभिओ ब्रह्मा थई प्रगटयो, ते तुं नाभिराय नंद ... ... ऋ०. समवसरण उपदेशे चतुर्मुख, पिता तुं सरस्वती पंड...... ऋ०. ४. बाबा आदम ते तुं ज आदिनाथ. मान्य इस्लामी धर्म..... ऋ०. कान दाबी बाहुबलिओ पोकार्यो, बांगविधि अ मर्म ...ऋ०. ५. आदि बुद्ध तुं, आदि तीर्थंकर, आदि नरेश समाज... ऋ०. आद्य संस्कृतिनो तुं पुरस्कर्ता, सहजानन्द-पद राज...... ऋ०. ६. (दि. २०-१०-१९६९, आश्विन शु. १०, विजयादशमी सं. २०२५) 89

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