Book Title: Bbhakti Karttavya
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram
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धिक्कार, धिक्कार, वारंवार मिच्छामि दुक्कडं.
तेरमं अभ्याख्यान पापस्थानक :
अछतां आळ दीधां, ते मने धिक्कार, धिक्कार, वारंवार मिच्छामि दुक्कडं.
चौदमुं पैशून्य पापस्थानक :
परनी चुगली, चाडी करी, ते मने धिक्कार, धिक्कार, वारंवार मिच्छामि दुक्कडं.
पंदरम परपरिवाद पापस्थानक :
बीजाना अवगुण, अवर्णवाद बोल्यो, बोलाव्या, अनुमोद्या, ते मने धिक्कार, धिक्कार, वारंवार मिच्छामि दुक्कडं.
सोलमं रति अरति पापस्थानक :
पांच इंद्रियना २३ विषयो, २४० विकारो छे तेमां मनगमतामां राग कों, अणगमतामा द्वेष कर्यों, संयम तप आदिमां अरति करी, करावी, अनुमोदी तथा आरंभादि असंयम प्रमादमां रतिभाव कर्यों,
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