Book Title: Bbhakti Karttavya
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

View full book text
Previous | Next

Page 108
________________ जे चारित्रे निर्मळा ते पंचायण सिंह, विषय कषाय ने गंजिया, ते प्रणमु निश दिन ।। ( तीन नमस्कार ) चैत्यवंदन श्री सीमंधर जग धणी ! आ भरते आवो करुणावंत करुणा करी, अमने वंदावो ! सकळ भक्तना तुमे धणी, जो होये अम नाथ ; भव भव हुं छु ताहरो, नहीं मेलु' हवे साथ | सयल संग छंडी करी चारित्र लेशुं, पाय तमारा सेवीने शिव- रमणी वरशुं । ए अरजो मुजने घणो, पूरो श्री सीमंधर देव ! हां थकी हुं विनवु, अव धारो मुज सेव || ( किंचि आदि चैत्यवंदन विधि ) स्तवन धन्य धन्य क्षेत्र महाविदेह जी, धन्य पुंडरिक गिरिगाम, धन्य तिहांना मानवी जी, नित्य ऊठी करे रे प्रणाम; सीमंधर स्वामी ! कहींये रे हुं महाविदेह आवीश, सहजानंद, प्रभुजी ! कहींये रे हे आपने वंदीश ? प्रभू 77

Loading...

Page Navigation
1 ... 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128