Book Title: Bbhakti Karttavya
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram
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आठमु माया पापस्थानक:
संसार संबंधी तथा धर्म संबंधी अनेक कर्तव्योमां कपट कयु ते मने धिक्कार, धिक्कार वारंवार मिच्छामि
दुक्कडं.
नवमु लोभ पापस्थानकः
मूर्जाभाव कर्यो, आशा, तृष्णा, वांच्छादि कर्यां ते मने धिक्कार, धिक्कार वारंवार मिच्छामि दुक्कडं.
दशमुराग पापस्थानकः
मनगमती वस्तुओमां स्नेह कीधो, ते मने धिक्कार, धिक्कार वारंवार मिच्छामि दुक्कडं.
अग्यारमुद्वेष पापस्थानक:
अणगमती वस्तु जोई द्वेष कर्यो, ते मने धिक्कार, धिक्कार वारंवार मिच्छामि दुक्कडं.
बारमु कलह पापस्थानक-:
अप्रशस्त वचन बोली क्लेश उपजाव्या, ते मने
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