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दिशा में प्रथम चरण है । सहजानन्द सुधा, पत्र सुधा, सहजानन्द विलास, इ. का प्रकाशन हो चुका है। अब संभवतः दूसरा प्रकाशन होगा उपर्युक्त श्री आत्मसिद्धि शास्त्र का अनुवाद, उनकी जीवनी, प्रवचन, इ.। इस प्रयास में सबके सुझाव, शुभकामनाएं सादर निमंत्रित हैं।
संशोधित परिवद्धित इस द्वितीय आवृत्ति में भी शेष रहीं क्षतियों के लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं । अनेकों के 'भक्ति-कर्त्तव्य' में यह पुस्तक निमित्त बने-ऐसी शुभकामना एवं प्रशस्त महत् पुरुषों के चरणों में भक्ति-वंदना के साथ
गुरुपूर्णिमा : २४-७-८३ ) 'अनंत', १२, केम्ब्रिज रोड अलसूर, बेंगलोर-५६० ००६)
प्रतापकुमार ज. टोलिया