Book Title: Atmanand Stavanavali
Author(s): Karpurvijay
Publisher: Babu Saremal Surana

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Page 10
________________ ( २ ) जो के विद्यमान नथी, तो पण तेमनो अक्षय कीर्तिदेह अने अक्षर देह अमारां मानस चक्षुओ पासे नित्य नवारूपे दृष्टिगोचर थायछे । तेमनो जलद गंभीर स्वर आजे संभलातो बंध पड्योछे, तो पण तेमनी जे वीर गर्जनाए अमेरिकानी सर्वधर्मपरिषद् पर्यंत प्रतिध्वनि पाड्यो हतो, ते वीरहाक हजी पण अमारा कर्णोमां गुंजारव करी रह्योछे । कालनी शताबदीओ पण ए पुण्यश्लोक गुरुवरनां मधुरां स्मरणो लुसकरी शके तेम नथी । जगतना अनंत नाम भंडारमांथी जैन समाजे "आत्मारामजी किंवा श्रीविजयानंदसूरीश्वर" नुं जे नाम हृदय मंदिरमां संग्रही राख्छे, जे नाम जैनमात्रनी उपासना अने पूजाने पात्र छे, जे नाम भक्तिना सुवर्ण सिंहासने विराजित छे, ते नामनो क्षुद्र कालबल केवी रीते लोप करी शकशे ? श्रीमान् आत्मारामजीना अशेष उपकारोथी दबायेली जैनप्रजा ज्यांसुधी पोताना भूतकालने हृदयथी चाहती रहेशे, त्यां सुधी ते भूली शकशे नहीं। अमारी वाणी के लेखिनीमां एवं ते शुं सामर्थ्य छे के अमे तेमनी गुणावलीनुं गान निःशेष करी शकीए ? पंजाब - अनेक संत महंतोनी पवित्र जन्म भूमि पंजाब - धर्मवीर योद्धाओनी चरण रजथी अंकित थली वीरभूमि - पंजाब, ए श्रीविजयानंद सूरीश्वरनुं कीर्तिनिकेतन छे, सहस्रनर-नारीओ -- आबाल

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