Book Title: Atmanand Stavanavali Author(s): Karpurvijay Publisher: Babu Saremal Surana View full book textPage 9
________________ EMA -Fy प्रस्तावना INDI वंदन ! कोटिशः वंदन !! ते जगवंद्य श्रीविजयानंद सरीश्वरना पाद पंकजमां कालनो अनंत महासागर तेमना उज्ज्वल अस्तित्व उपर फरीवल्योछे, ए महासागरनुं प्रत्येक मोनुं सूरीश्वरनी मधुर स्मृतीओ भुसाडवा अहोनिश गर्जारव करी रघुछे । छतां आजे एक पण एवो जैन बतावशो के जेनुं हृदय श्रीमान् आत्मारामजीना स्मरण मात्रथी उल्लसित न थतुं होय ? एवो कोइ हीनभागी जैन बतावशो के जे आत्मारामजी महाराजना देवचरित्रमाथी पुरुषार्थना, साहसिकताना, भूतदयाना अने अशेष मनुष्य प्रेमना पाठोन शीखतो होय ? जेमणे एक काले जगतनुं अज्ञान-तिमिर टालवा अद्भुत ज्ञान नास्कर प्रकटाव्यो हतो । भास्करना प्रचंड छतां स्वास्थ्यकर किरणोए जगत्ने सत्यनुं स्वरूप समजाव्युं हतुं, विश्वमा उत्तेजना अने कर्तव्य प्ररेणानुं मधुर संगीत छेड्युं हतुं । , आजे विश्ववंद्य श्रीविजयानंद सूरिजी सशरीरेPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 311