Book Title: Aparigraha Darshan
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 151
________________ १४० | अपरिग्रह-दर्शन हिंसा करो न किसी को पीड़ा पहुँचाओ, बल्कि सभी आत्मओं के प्रति मैत्रीभावना स्थापित कर विचरण करते रहो । किसी के साथ वैर न करो।' यही नहीं, अपने को लड़ाक एवं बलिदान प्रिय धर्म की दुहाई देने वाले इस्लाम धर्म के भीतर झाँक कर देखें, तो वह भी अहिंसा की नींव पर टिका हुआ प्रतीत होगा। इस्लाम धर्म में भी कहा गया है-"खुदा सारी दुनियाँ (खल्क) का पिता (खालिक) है। दुनियाँ में जितने प्राणी हैं, वे सब खुदा के बंदे (पुत्र) हैं।" कुरान शरीफ की शुरूआत में 'विस्मिल्लाह रहिमानुरंहोम' कहकर खुदा को रहम का देव कहा है, कहर का नहीं । हजरत अली साहब ने तो पशु-पक्षियों तक पर रहम करने को कहा है --- "हे मानव. तू पशु-पक्षियों की कत्र अपने पेट में मत बना' । कुरान शरीफ का ऐलान है, कि जिसने किसी की जान बचाई-उसने मानो सारे इन्सानों की जिन्दगी बख्शी। ईसाई धर्म को उद्बोधन देते हुए महात्मा ईसा ने कहा है कि"तू तलवार म्यान में रख ले, क्योंकि जो लोग तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से ही नाश किए जाएंगे।' अन्यत्र भी उन्होंने कहा है -- 'तुम अपने दुश्मन को भी प्यार करो, और जो तुम्हें सताते हैं, उनके लिए भी प्रार्थना करो। यदि तुम उन्हीं से प्रेम करो, जो तुमसे प्रेम करते हैं, तो तुमने कौन मार्के की बात की? ___यहूदी धर्म में कहा है -किसो आदमी के आत्म-सम्मान को चोट नहीं पहचानी चाहिए। लोगों के सामने किसो आदमी को अपमानित करना उतना ही बड़ा पाप है। जितना कि उसका खुन कर देना । प्राणि मात्र के प्रति निर्णैर भाव रखने को प्रेरणा देते हुए यह कहा है कि"अपने मन में किसी के प्रति वर या दुर्भाव मत रखो।" पारसी धर्म के महान् प्रवर्तक महात्मा जरथुष्ट का कथन है, कि "जो सबसे अच्छे प्रकार की जिन्दगी गुजारने से लोगों को रोकते हैं, अटकाते हैं, और पशुओं को मारने की सिफारिश करते हैं, उनको अहरमज्द बुरा समझते हैं।' १. न हिस्यात् सर्व-भूतानि, मैत्रायण-गतश्चरेत् । नेदं जीवितमासाद्य वैर कुवर्त केनचित् ॥ -महाभारत, शांति पर्व २७८।५ २. व मन् अहया हा फक अन्वया अलास जनीअनः । -कुरान शरीफ ३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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