Book Title: Aparigraha Darshan
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 149
________________ जीवन और संरक्षण विश्व के समस्त प्राणी दुःख एवं पोड़ाओं से मुक्ति चाहते हैं । चाहे वे छोटे हों या बड़े, मानव हों अथवा पशु, सभा जोना चाहते हैं, मरना कोई भी नहीं चाहता।' सबको सुख प्रिय है, दुःख अप्रिय । सबको अपना जोवन प्यारा है । जिस हिंसक व्यवहार को एक अपने लिए पसन्द नहीं करता, दूसरा क्यों कर उसे चाहने लगा । यही जिन-शासन के कथनों का सार है, जो एक तरह से सभी धर्मों का सार हैं। आज से अढ़ाई हजार वर्ष पूर्व भगवान महावीर ने जिस महाकरुणा (अहिंसा) का सन्देश विश्व को दिया था, आज भी उसकी महत्ता यथावत् अक्ष पण है, बल्कि कहना चाहिए, उसका महत्व आज के प्रजातान्त्रिक विश्व-शासन युग में और अधिक बढ़ गया है। मैत्री तथा करुणा : __ अहिंसा सिर्फ हिंसा नहीं करने का नाम भर ही नहीं है, अपितु यह मैत्री, करुणा और सेवा की महान साधना का अपर नाम है । हिंसा नहीं १. सव्वे जीवा वि इच्छंति, जीविउं न मरिज्जिउं । -दशवकालिक सूत्र, ६।११ २. सव्वे पाणा पिपाउया सुहसाया दुहपडिकूला। -आचारांग सूत्र, १२।३ ३. जं इच्छसि अप्पणतो, जं च न इच्छसि अपणतो। तं इच्छ परस्स वि, एत्तियग्गं जिण-सासणथं । हत्कल्प भाष्य-४५८४ ( १३८ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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