Book Title: Anusandhan 2015 12 SrNo 68
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ अनुसन्धान-६८ स्तवमवास्तवं कुर्वन्तस्त्रयस्त्रिंशत्तमे वृत्ते तत्र श्रीपार्श्वनाथबिम्बं प्रादुश्चक्रुः । देवतादेशेन च तद्वृत्तं गोप्यमेव निर्ममेशो निर्ममे.' नवी बत्रीसीनी रचना करता तेत्रीसमा वृत्त (पद्य) वखते ते पार्श्वनाथ प्रभुनुं बिम्ब प्रगट थयु. पाछळथी देवताना आदेशथी ते वृत्त (छेल्लुं पद्य) गोपावायु. अहिं प्रश्न थाय के मूळ स्तोत्रनी श्लोकसङ्ख्या ३२ के ३३ ? पाछळथी छेल्ली १ गाथा भण्डारी देवामां आवी एम कर्त्ता मेरूतुङ्गसूरिजी कहे छे तो हाल मळती कृतिनी श्लोक सङ्ख्या ३० शा कारणथी? के अनुश्रुति प्रमाणे सम्भळाती 'द्वात्रिंशिकानी छेल्ली २ गाथा भण्डारी देवामां आवी' ते वात वधु सङ्गत छे ? प्रस्तुत कृति परिचय : चन्द्रगच्छीय श्रीअभयदेवसूरिजी कृत 'जय तिहुअण०' स्तोत्रना पद्यभाषानुवाद रूपे प्रस्तुत कृतिनी रचना कराई छे. मूळकृतिमां कविए प्रयोजेला पार्श्वनाथप्रभुना ते दरेक विशेषणोने चोपई, पद्धडि के नाराच छन्दमां भावबद्ध रीते रचवानी कविश्री क्षमाकल्याणजीनी शक्ति खरेखर मान उपजावे तेवी छे. कृतिमांना अपभ्रंश, मारूगुर्जर, हिन्दी भाषाना शब्दो कविना शब्दभण्डोळनी विशेषता छे. अन्त्यानुप्रास मेळववानी कळामां कवि खुब ज माहिर हशे एम मानवू अहीं अतिशयोक्तिभर्यु नहि गणाय. कदाच अपभ्रंशभाषानी कोई कृतिनो भाषानुवाद थयो होय तो तेवी प्रायः आ सर्व प्रथम रचना हशे. कृतिकार परिचय : कृतिकार श्रीक्षमाकल्याणजी म. खरतरगच्छीय श्रीजिनलाभसूरिजीना शिष्य अमृतधर्म उपाध्यायना शिष्य छे. रास, स्तवनादि सिवाय पट्टावली जेवा ऐतिहासिक ग्रन्थो, भूधातुवृति जेवी व्याकरणसम्बन्धि रचनाओ, तर्कसङ्ग्रह-फक्किका जेवा न्यायग्रन्थो तेमज अन्य पण काव्य, सिद्धान्तसम्बन्धि घणी रचनाओ तेमणे करी छे. हजु एमना घणा ग्रन्थो अप्रकाशित छे. प्रत परिचय : प्रस्तुत कृतिनी प्रत भावनगरस्थित श्रीजैन आत्मानन्द सभा भण्डार अन्तर्गत श्रीभक्तिविजयजीना सङ्ग्रहमांथी मळी छे. पत्र २ छे. अक्षरो मोटा छे. प्रतमां अन्ते सं. १९६६ लखेल छे. ते संवत् प्रायः प्रतनी नकल लखाई हशे त्यारनी ज हशे.

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 147