Book Title: Anusandhan 2015 12 SrNo 68
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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डिसेम्बर - २०१५
५५
८६. उपाध्याय(?) पर लिखित (पत्रसङ्ग्राहक द्वारा नामो काढी नंखायां छे),
संस्कृत, ३८ श्लोक, आदि - स्वस्तिश्रीमरुदेवीयं प्रासूत प्रथमं जिनम्; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - कैलाससागरसूरि
ज्ञानमन्दिर - कोबा; अङ्क ६४, पृ. १३१-१३४. ८७. सिद्धपुरथी लखायेल, (सङ्ग्राहक द्वारा नामो काढी नंखायां छे), संस्कृत,
२५ श्लोक, आदि - मन्दारभासुरतरं द्विजराजराजमानं विमानिपथवद्; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर -
कोबा; अङ्क ६४, पृ. १३४-१३६. ८८. संस्कृत, दोढ श्लोक उपलब्ध, आदि - स्वस्तिश्रीरमणीमणिदिनमणिः
श्यामामणीमण्डले; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत -
कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर - कोबा; अङ्क ६४, पृ. १३६. ८९. श्रीविजयदेवसूरिजी पर लिखित, छेल्ला ७ श्लोक प्राप्त, पत्र बाद गुरुवर्णनना
२० श्लोक, प्राप्तनी आदि - येषां निष्प्रतिमानतां गतवतां विद्याविलासाहतों; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - कैलाससागरसूरि
ज्ञानमन्दिर - कोबा; अङ्क ६४, पृ. १३६-१४०. ९०. लक्ष्मणपुर(-लखनऊ) बिराजमान श्रीजिनचन्द्रसूरिजी पर जयपुरथी मुनि
श्रीकमलसुन्दरजी द्वारा लिखित, २०मी सदी, हिन्दी-संस्कृत, पद्य, आदि - स्वस्तिश्री शिवसुखकरण हरण अशिवदुख दूर; सं. - म. विनयसागर, प्रत - श्रीमालों की दादावाडी - जयपुर, पत्र ६; अङ्क ६४, पृ. १४१
१६६. ९१. पार्श्वचन्द्रगच्छीय श्रीविवेकचन्द्रसूरिजी पर राजनगर(-अमदावाद)थी पं.
श्रीरवचन्द्रजी → मुनि श्रीश्रीचन्द्रजी द्वारा लिखित, सचित्र, सं. १८४२, गुजराती, पद्य, आदि - स्वस्ति श्रीशर्मधामा त्रिभुवनविजयी दुष्टकर्मारिवा; सं. - साध्वी श्रीसमयप्रज्ञाश्रीजी, प्रत - पायचंदगच्छ संघ भण्डार -
खम्भात; अङ्क ६४, पृ. १६७-१७३. ९२. शिरोही बिराजमान श्रीविजयलक्ष्मीसूरिजी पर सूरतना श्रीसङ्घ द्वारा प्रेषित,
सचित्र, सं. १८५१, गुजराती, गद्य-पद्य, आदि - स्वस्तिश्रीवृषभं जिनेन्द्रवृषभं त्रैलोक्यरत्नर्षभम्; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत -

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