Book Title: Anusandhan 2015 12 SrNo 68
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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डिसेम्बर - २०१५
५३
७४. श्रीरङ्गविजयजी द्वारा लिखित, संस्कृत, गद्य, आरम्भनो भाग अप्राप्त,
उपलब्धनी आदि - व्यणुकसमवायिकारणरङ्गविजयः सविनयं सस्नेहं...; सं. - मुनि श्रीत्रैलोक्यमण्डनविजयजी, प्रत - श्रीविजयशीलचन्द्रसूरि
सङ्ग्रह; अङ्क ६१, पृ. २१६. ७५. ईलादुर्ग(-ईडर) बिराजमान [?] पर डभोक ग्रामथी मुनि श्रीरूपचन्द्रजी
द्वारा लिखित, संस्कृत, ३८ श्लोक, अपूर्ण, आदि - स्वस्तिश्रियाऽन्वितो दद्यान्नो नाभेयः स शं जिनः; सं. – मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - नेमिविज्ञानकस्तूरसूरि ज्ञानमन्दिर - सूरत; अङ्क ६१, पृ. २१७
२१९. ७६. प्रारम्भिक भाग अप्राप्त, संस्कृत, गद्य, प्राप्तनी आदि - ०यसारकासारस्थास्नु
प्रसृमरशंवरभरसमानन्द्यमान०; सं. – मुनि श्रीत्रैलोक्यमण्डनविजयजी, प्रत - अभय ग्रन्थसङ्ग्रह - बीकानेर, क्र. ४५९१६; अङ्क ६१, पृ. २२०
२२१.
७७. तपगच्छपति [?] पर लिखित, संस्कृत, पद्य, अन्तिम १९ श्लोक
उपलब्ध, प्राप्तनी आदि - तथा प्रथाप्राप्तगुणैर्गुणानामप्याश्रयैस्तद्गणना
मतीतैः; सं. – मुनि श्रीत्रैलोक्यमण्डनविजयजी; अङ्क ६१, पृ. २२२-२२३. ७८. श्रीदेवसुन्दरसूरिजी पर श्रीमुनिसुन्दरसूरिजी द्वारा लिखित 'त्रिदशतरङ्गिणी'नो
ओक अंश, संस्कृत, चैत्यषट्कबन्धचित्ररूप श्रीजिनस्तवावलि महाहद, ६ अन्तर्हद, ३३ तरङ्ग, २०९ श्लोक, आदि - जयश्रियं सर्वपुरेष्ववाप्य पुण्यर्द्धिभिः पत्तनमादधाति; सं. - श्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजी, प्रत - हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञान मन्दिर - पाटण, क्र. ११६/३३०७, १७ पत्र; अङ्क
६४, पृ. १-४३. ७९. पत्तन(-पाटण) बिराजमान श्रीहीरविजयसूरिजी पर महेवाथी मुनि श्रीविजयहर्ष
द्वारा लिखित, सं. १६३०, संस्कृत, २२२ श्लोक, अनेक चित्रकाव्योथी अलङ्कृत, आदि - स्वस्तिश्रीजिनपाणिपद्मयुगलं भेजे प्रवालप्रभम्; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - नेमिविज्ञानकस्तूरसूरिज्ञानमन्दिर - सूरत; अङ्क ६४, पृ. ४४-६३.

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