Book Title: Anusandhan 2015 12 SrNo 68
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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डिसेम्बर - २०१५
५७
श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर -
कोबा, अङ्क ६५, पृ. १-४. ९९. श्रीपुर(-शिरपुर) बिराजमान श्रीविजयदेवसूरिजी पर अहमदनगरथी मुनि
श्रीकमलविजयजी → मुनि श्रीउदयविजयजी द्वारा लिखित, गुजराती, १८ कडी, आदि - स्वस्तिश्री जिनपय नमी श्रीपुर नगर सुथान; सं. – मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर, कोबा;
अङ्क ६५, पृ. ५-७. १००. श्रीविजयदेवसूरिजी पर मुनि श्रीमाणिक्यचन्द्रजी द्वारा लिखित, सं. १६७८,
गुजराती, ४३ कडी, आदि - स्वस्ति सदा तुझनई हयो श्री विजयदेवमुणिंद; सं. – मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - वीरबाई जैन पाठशाळा - पालिताणा; सं. १६९२मां भरुचमां पं. श्रीसङ्घविजयजी → मुनिश्री क्षेमविजयजी द्वारा श्राविका हीरबाई माटे लिखित; अङ्क ६५, पृ.
८-११. १०१. खम्भात बिराजमान श्रीविजयानन्दसूरिजी पर सूरतना श्रीसङ्घ वती श्रीदर्शन
विजयजी द्वारा लिखित, गुजराती, ४४ कडी, आदि - प्रगट प्रभावी त्रिभुवनि त्रिभुवनजन सुखकार; सं. – मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी,
प्रत - लालभाई दलपतभाई विद्यामन्दिर; अङ्क ६५, पृ. १२-१६. १०२. श्रीविजयप्रभसूरिजी पर बीजापुर-साहपुरना श्रीसङ्घ वती मुनि श्रीवृद्धि
विजयजी → मुनि श्री कनकविजयजी द्वारा लिखित, सं. १७३२, गुजराती, चन्द्राउलानी देशीमा २५ कडी, आदि - विजयप्रभ वाल्हेसरू रे परघल आंणी प्रेम; सं. – मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - लालभाई
दलपतभाई विद्यामन्दिर; अङ्क ६५, पृ. १७-२१. १०३. सूरत बिराजमान श्रीविजयदयासूरिजी पर सोझित(-सोजत)ना श्रीसङ्घ वती
मुनि श्रीरूपविजयजी द्वारा लिखित, सं. १७९०, गुजराती, पद्य, मङ्गल श्लोक पछी आदि - दीठा गुरु दोलति हुवै प्रह उगतै सूर; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर -
कोबा; अङ्क ६५, पृ. २२-२८. १०४. वाल्होतरा(-बालोतरा) बिराजमान श्रीविजयधर्मसूरिजी पर सूरतथी मुनि

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