Book Title: Anusandhan 2015 12 SrNo 68
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 33
________________ डिसेम्बर - २०१५ २७ के घटे ? केम के जेमने प्रश्न पूछाय छे ते आचार्य तपगच्छना गच्छनायक छे. परंतु पूछनार गृहस्थ बहु विचक्षण अने विवेकी हशे, तेथी तेमणे प्रश्नने आ रीते वाळीने पूछ्यो होय तेवी कल्पना थाय छे.) आचार्य स्पष्ट प्रत्युत्तर आपे छे : तेवा श्रावकने संसार- भ्रमण घटे छे, पण वधतुं नथी. आ ढूंका जवाबमां उपर कौंसमां मूकेला काल्पनिक प्रश्ननो उत्तर पण ओवी ज कल्पनापूर्वक समजी लेवो जोईओ. अर्थात् आचार्य गच्छवादने महत्त्व आपवाना मतना नथी, ते आ जवाबथी स्पष्ट थाय छे. पत्रगत त्रीजो प्रश्न धार्मिक बाबत परत्वे छे. तेमां गच्छपतिने पूछवामां आव्युं छे के 'भगवानजी' अटले के गच्छपति आचार्य त्रण प्रकारना मनुष्योने पच्चक्खाण करावे : ओक, सम्यक्त्वधारी मनुष्यने; बे, परपक्षना (अन्य गच्छना जैन) मनुष्यने; त्रण, मिथ्यात्वी जनने; तो ते त्रणेने अपायेला पच्चक्खाण मार्गानुसारी समजवा के नहीं ? ____ आना उत्तरमा आचार्य जणावे छे के ते त्रणेने अपातुं पच्चक्खाण मार्गानुसारी समजवु. आ उत्तरमां पण आचार्यनी स्वाभाविक उदार समजण ज पडघाती जणाय छे. अन्यथा बीजा कोई कट्टरतापरस्त आचार्य होत तो ते ओम ज कहेत के सम्यक्त्वधारीने अपातुं होय ते मार्गानुसारी, परपक्षीयने के मिथ्यात्वीने अपातुं होय ते नहीं. अकंदरे बन्ने पत्रमांना प्रश्नोत्तरो, गच्छपति श्रीविजयसेनसूरिजी महाराजना अनाग्रही, उदार तेमज गच्छनायक पदने छाजे तेवा स्वभावनो परिचय आपी जाय तेवा छे. ओ रीते मूलवीओ तो आ पत्रोनुं दस्तावेजी मूल्य तो खलं ज, पण साथे साथे गुणवत्ता अने प्रेरकताथी सभर मार्गदर्शननी रीते पण मूल्य घणुं बधुं आंकी शकाय तेम छे. आ बे पत्रो, अन्य पत्रो साथे ओक लांबा पाना पर लखायेल छे, जे जोतां ज जणाई आवे के १७मा शतकमां आ पत्रोनी कोईओ करेली नकलरूप आ पत्रो छे. ओ पानां विद्वान मुनिवर श्री धुरन्धरविजयजीना डीसाना ग्रन्थसङ्ग्रहमांथी तेमणे आप्यां छे, तेनुं साभार स्मरण थाय छे. हवे ते मूळ पत्रो ज वांची:

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