Book Title: Anusandhan 2015 12 SrNo 68
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 46
________________ अनुसन्धान-६८ १. पत्रोनी प्रकाशनवार सूचि विज्ञप्तिपत्र अनुसन्धानमा प्रकाशित १. पुरबन्दिर (-पोरबन्दर) बिराजमान श्रीविजयप्रभसूरि (?) पर राजनगर( अमदावाद)थी उपाध्याय श्रीयशोविजयजी द्वारा लिखित, सं. १७१७ पछी, संस्कृत, गद्य, लखवा धारेल पत्रना खरडा स्वरूप रचना, आदि - स्वस्ति-श्रीमद्यदीयक्रमकमलनमन्नाकिकोटीरकोटिः; सं. - श्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजी, प्रत - श्रीविजयशीलचन्द्रसूरि-सङ्ग्रह, कर्ता द्वारा सं. १७१७मां लिखित 'समुद्रवहाणसंवाद'ना प्रान्तभागे कोरी जग्यामां लिखित पत्र; अङ्क ६, पृ. ६५-६७. २. फत्तेपुरसिक्री बिराजमान श्रीहीरविजयसूरिजी पर स्तम्भनतीर्थ(-खम्भात)थी श्रीगजेन्द्र गणि → श्रीपुण्यहर्ष गणि द्वारा लिखित, सं. १६४२, गुजराती, १६४ कडी, 'लेखशृङ्गार' नाम, आदि - स्वस्ति श्रीऋषभजिन श्रीनाभिनरेन्द्र मल्हार; सं. - श्रीमहाबोधिसूरिजी, प्रत - संवेगी उपाश्रय - अमदावाद; अङ्क १०, पृ. ५०-६७. ३. श्रीविजयनेमिसूरिजी पर बहुरसद(-बोरसद)थी श्रीविजयलावण्यसूरिजी द्वारा लिखित, सं. १९९३, संस्कृत, गद्य, 'सप्तदलं लेखकमलम्' नाम, श्लेषप्रचुर, कर्ता कृत टिप्पणी सहित, आदि - स्वस्तिश्रीभृगुकच्छमच्छनगरं नित्यं पुनानं जिनम्; सं. - श्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजी, प्रत - श्रीविजयशील चन्द्रसूरि-सङ्ग्रह; अङ्क १२, पृ. ७१-८०. ४. मेडता बिराजमान श्रीविजयसिंहसूरिजी पर स्थिराद्र(-थराद)थी मुनि श्रीविनयवर्धन द्वारा लिखित, सं. १७०१, संस्कृत, ४८ श्लोक, एकाक्षर वृद्धिछन्दोबद्ध, छन्दनामगुम्फित शब्दो, आदि - स्वस्तिश्रीशं देवाधीशं स्वस्ति-श्रीकं स्तोष्येऽस्तेयम्; सं. - मुनि श्रीरत्नकीर्तिविजयजी, प्रत - श्रीविजयशीलचन्द्रसूरि-सङ्ग्रहगत ओळियुं; अङ्क १४, पृ. ३१-३७. पत्तन(-पाटण) बिराजमान श्रीविजयसेनसरिजी पर अमदावादथी श्रीधनहर्षशिष्य द्वारा लिखित, सं. १६५२ पछी, संस्कृत, १६२ श्लोक (अपूर्ण), ५.

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