Book Title: Anusandhan 2015 12 SrNo 68 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 6
________________ 6 आवरणचित्र - परिचय आवरण पृष्ठ - १ सती द्रौपदी अने नारद ऋषि द्रौपदी ए महासती तो छे ज, साथे दृढ सम्यक्त्वधारिणी पण छे. ते विरतिधर साधु सिवाय कोईने नमे के आदर करे नहि. नारद ऋषि अविरति होवाथी तेओ द्रौपदीने मळवा आव्या त्यारे तेणे पोतानी धर्मक्रिया - माळा छोडी नहि अने ऋषिनो आदरसत्कार न कर्यो. ते प्रसङ्गने दर्शावतुं एक चित्र. सम्भवतः १९मो सैको. लाखथी बनेला पृष्ठ - पाटली उपर श्यामवर्णनी पार्श्वभू उपर आलेखायेल आकृतिओ, तेनी नजाकत -नीतरती कलम माटे ध्यान खेंचे छे. सिंहासन पर बेठेली द्रौपदीना हाथनी माळा, राजस्थानी शैलीना तेना अलङ्कारो, वेलबूटीओवाळां वस्त्रो - बधुं सोहामणुं दीसे छे. तो नारदनी विस्फारित आंख, 'तने जोई लइश' - एवं जाणे सूचववानी मुद्रामां लंबायेलो हाथ, वीणा, पगनी चाखडी, शैलीसहज वेलबूटानी भातवाळु वस्त्रपरिधान - आ बधुं पण ध्यानकर्षक ज. आवरण पृष्ठ - ४ चन्दनबाळा अने मृगावती बन्ने भगवान महावीरनी साध्वी बन्ने महासती. चन्दनबाळा सूतां छे, ने तेमना हाथ पासे काळोतरो नाग पसार थाय छे. ते जो हाथने स्पर्शे तो अवश्य करडे ने तो अनर्थ ज थाय. पण ताजुं केवलज्ञान पामेलां मृगावतीने ज्ञानना प्रकाशबळे ते नाग देखाय छे, अने तेओ गुरुणीनो हाथ बहु ज कोमळताथी खसेडे छे. सर्प तो पसार थई गयो, पण कोईनो स्पर्श थतां ज चन्दनबाळा जागी जाय छे. आ प्रसङ्गने आलेखता आ पुरातन चित्रमां बन्ने साध्वीओनुं वेषपरिधान, रजोहरण, बन्नेना मों पर लींपायेली सौम्यता, नागनी लयबद्ध गतिशीलता - बधुं नोंधपात्र रीते आलेखायुं छे. साध्वीने पलंग - तकियो- पथारी न होय; पाट ने संथारो होय. परन्तु चित्रकार तो अतन्त्र होय, कविनी जेम, एटले ते क्षम्य ज होय. परन्तु पथारी - तकियानी वेलबूटीओ वाळी मधुर भात, उपर फूलवेल अने चंदरवो - आ बधुं वातावरणने समृद्ध बनावे छे.Page Navigation
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