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६६
६४
६५
६८
७०-७४ द्रव्यलेश्या - भावलेश्यानी व्यवस्था
७६
स्पर्धकनी प्ररूपणा
८०
८२
त्रण संज्ञानुं स्वरूप विग्रहगतिनुं वर्णन दर्शननी अनाकारता
८३
८७- १४३ द्रव्य-क्षेत्र - काल अने भावभेदे प्रमाणनी प्ररूपणा
*
गाथा
१३
२६
३२
३६
४८
५५
५७
2222
अवधिज्ञाननी अवस्थितता - हीयमानता अंगे विचार मिश्र गुणठाणे ज्ञान - अज्ञाननी नयभेदे व्यवस्था ५ प्रकारना निर्ग्रन्थोनुं वर्णन
६४
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टीकामां मतभेदोनी नोंध पण विपुल प्रमाणमां मळे छे
मतभेद
छठ्ठी नरकनुं नाम
१. तमः प्रभा / २. तमा
सातमी नरकनुं नाम १. तमस्तमः प्रभा / २. तमस्तमा 'पनकमृत्तिका' कोने कहेवाय ते अंगे मतभेद छे..
'अङ्गार, ज्वाला अने अर्चि कोने कहेवाय ते अंगे मतभेद छे. 'भूमिस्फोट' अने 'सर्पछत्रक'ने अन्यत्र 'प्रत्येक वनस्पति' तरीके ओळखाव्या छे; ज्यारे जीवसमासमां तेमने 'साधारण वनस्पति' गण्या
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अनुसन्धान-६२
छे.
द्वितीय संहनन
१. वज्रनाराच / २. ऋषभनाराच वैक्रियमिश्र अने आहारकमिश्र योग वैक्रिय अने आहारक शरीरना प्रारम्भ वखते होय के समाप्ति वखते ते अंगे मतभेद छे. आहारक शरीरनी समाप्ति वखते अप्रमत्तत्व होय ओम अन्य स्थाने कह्युं छे, ज्यारे प्रस्तुत स्थळे ए वखते पण आहारकना प्रारम्भकाळनी जेम प्रमत्तता मानी छे.
अवधिज्ञाननो पर्यायोमां उपयोग ७ के ८ समय जेटलो होय. ज्यारे केटलाक ओम कहे छे के गुणमां उपयोग ८ समय जेटलो होय अने पर्यायोमां ७.
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