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अनुसन्धान-६२
आजे मारामां ओटली क्षमता के मारी वाणीमां कौवत नथी के हुं हेमचन्द्राचार्यजीनां कार्योनुं वर्णन करी शकुं, अने महाराजसाहेब सहित आप सौनो आभार मानी शकुं. जैन धर्ममां निर्मळ, प्रभावक दर्शन, ज्ञान अने चारित्र्यनो महिमा छे. आ तमाम सन्तोनुं ज्ञान अमना आचरणथी पुष्ट थयेलुं छे, त्यारे आ मङ्गल प्रसंगे मारा पर प्रेम वरसाववा बदल सन्तो अने अमना प्रतिनिधि तरीके आवेला आप सौनो हृदयपूर्वक आभारी छु.'
चन्द्रक अर्पणविधि सम्पन्न थया बाद ट्रस्टीओना निमन्त्रणने मान आपी वसन्तभाईना कुटुम्बीजनो अने आ समारम्भमां हाजर रहेला तमाम महानुभावोओ प्राकृतिक-नैसर्गिक वातावरणमा वर्षाझरमर साथे मिष्ट भोजननो ल्हावो लीधो हतो......
ना
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