Book Title: Anusandhan 2013 09 SrNo 62
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 113
________________ १०६ अनुसन्धान-६२ (४) श्रीसौभाग्यसागरसूरिजी विशे अनुसन्धान-६१मां पत्र-५५ 'श्रीज्ञानविमलसूरिप्रणीता प्रसादपत्री'मां श्लोक १३मां श्रीसौभाग्यसागरसूरिजी नाम छे. आ सम्बन्धे आ पत्रना परिचयमां (अनु. ६१ - पृ. 46) अम लखायुं छे के "पोते (-ज्ञानविमलसूरि) स्तम्भतीर्थमां छे, त्यारे साथे सौभाग्यसागरसूरि नामक आचार्य पण त्यां छे तेवी सूचना पद्य १३थी मळे छे." आ सम्बन्धे अक वधु माहिती मळी छे. 'जैन संस्कृत साहित्यनो इतिहास' - खण्ड २ - प्रकरण २८, पृ. २०४ पर शोभनस्तुतिनी अक टीकानो परिचय आम अपायो छे : "आ सौभाग्यसागरसूरिनी रचना छे अने अनुं संशोधन, ज्ञानविमलसूरिओ, वि.सं. १७७८मां कर्यु छे. आ. सौभाग्यसागरसूरि आनन्दविमलसूरिना सन्तानीय ज्ञानविमलसूरिना पट्टधर थाय छे." न Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138