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ओगस्ट - २०१३
विश्व की एक प्रमुख भाषा होने के कारण उसमें भी जैन दर्शन सम्बन्धी अनेक ग्रन्थ उपलब्ध होते है। उसमें प्रो. नथमल जी टाटीया का जैन स्टडीज, डॉ. इन्द्रशास्त्री का जैन एपीस्टोमोलाजी, जे.सी. सिकदर का जैन थ्योरी आफ रियलीटी, प्रो. बी.आर. जैन का कासमोलाजी ओल्ड एण्ड न्यू आदि कुछ प्रमुख ग्रन्थ माने जा सकते है । यद्यपि आज कुछ मूल ग्रन्थों के अंग्रेजी अनुवाद सहित लगभग पाँच सौ अधिक ग्रन्थ अंग्रेजी भाषा में भी उपलब्ध - फ्रेंच, ऊर्दू, पन्जाबी, बन्गाली आदि में क्वचित् जैनधर्मदर्शन सम्बन्धी ग्रन्थ उपलब्ध है।
प्राच्य विद्यापीठ दुपाडारोड, शाजापुर (म.प्र.)
टि.
१८वीं शतीमें उपाध्याय विनयविजयजी ने लोकप्रकाश ग्रन्थ बनाया । तदुपरान्त, यशस्वत्सागरकृत स्याद्वादमुक्तावली आदि, पद्मसागरकृत प्रमाणप्रकाश आदि विविधकर्तृक विविध ग्रन्थ संस्कृत में जैन दार्शनिक ग्रन्थ हैं । आत्मारामजी महाराज के ग्रन्थ प्रसिद्ध ही है । ___ वीसवीं शती में आचार्य विजयनेमिसूरिजीने न्यायसिन्धु, अनेकान्ततत्त्वमीमांसा, सप्तभङ्गी-उपनिषत्, नयोपनिषत् इत्यादि ग्रन्थ व न्यायालोक, अनेकान्तव्यवस्था आदि के टीकाग्रन्थ बनाये । उनके शिष्यवृन्द में से अनेक साधुओंने सन्मतितर्कवृत्ति पर विवरण आदि दार्शनिक ग्रन्थों रचे । आ. सागरानन्दसूरिजीने भी तत्त्वार्थ-पूर्ति इत्यादि अनेक दार्शनिक रचनाएं की। आ.लब्धिसूरिजीने भी तत्त्वन्यायविभाकर, सन्मति-टीका आदि की रचना की। और ग्रन्थरचना का यह सिलसिला, थोडे अंश में, आज भी जारी रहा है। इतना पाठकों की जानकारी के लिए । वैसे गुजराती में भी विविध लेखकों द्वारा दार्शनिक पुस्तकें लिखी गई हैं।
- शी.
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