Book Title: Anusandhan 2003 04 SrNo 23
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 5
________________ अनुक्रम १. उपाध्याय श्रीसकलचन्द्रगणिविरचितः सं. विजयशीलचन्द्रसूरि 1 श्रुतास्वादः २. चार जिनस्तुतिओ सं. मुनि धुरन्धरविजय 18 ३. नाना-छन्दोमय-श्रीनेमिनाथस्तवन सं. मुनि विमलकीर्तिविजय 24 ४. श्रीरविसागरगणिकृता कुमारसम्भवादि महाकाव्यचतुष्करीत्या स्तोत्रचतुष्टयी सं. विजयशीलचन्द्रसूरि 30 ५. च्यार ध्यान विचार लेश सं. डो. मालती के. शाह 47 ६. बलदेवमुनिनी सज्झाय सं. डो. रसीला कडिया 57 ७. कोठारीपोळना चिन्तामणि पार्श्वनाथनुं स्तवन सं. डो. रसीला कडिया 60 ८. रतनगुरुरास सं. डो. रसीला कडिया ९. स्त्रीतीर्थंकर मल्लिनाथनी प्रतिमाओ विजयशीलचन्द्रसूरि १०. अनुसन्धान-२१ विहंगावलोकन मुनि भुवनचन्द्र ११. अनुसन्धान-२२नुं विहंगावलोकन मुनि भुवनचन्द्र १२. स्वाध्यायः श्रीराजशेखरसूरिकृत प्रबन्धकोश गत केटलीक नोंधपात्र वातो विजयशीलचन्द्रसूरि १३. माहिती : नवां प्रकाशनो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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