Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
________________
शब्द
इस्सराणि
इस्सज्ज
इस्सरभूत
इस्सरा
इस्सरियामास
इस्सरोपक्र
इस्सापंडक
इंगालकारक
इंगालकोट्रक
इंगालरिगा
इंगालवाणिय
गुण (दि) तेल्ल
इंचका
इंदकाइया
इंटकेट
ईसाभिमरित
ईसिसपीलित
ईसुम्म
'इंदगोपक
इंदगोविका
इंदणाम
इंद
इंदधय
इंदमह
इंदवड्ड
इंदिआली इंदिआलि
इंदीवर
उउपाण
उकरालीसं
उक्कट्ठा
उक्त
उक्कडओकड
उद्धति
उक्त रिसाऽपरिसा
उक्कस्स
उक्कंठका
उक्कंदित
उक्कापात
उक्कारिका
Jain Education International
पत्र
शब्द
१२८ उक्कासित
६१ उक्कुज्ज
५८-११९ उक्कुट्ठ ५८-११९ उक्कुट्ठ
२०१ उक्कुट्ठ
११९ उक्कुडुक
उक्कुलिणी
नपुंसकविशेष ७३ - २२४
ऐश्वर्य
कर्माजीविन् ९२ उक्कूज अङ्गारकोष्ठक २५४ उकूणित अङ्गारभूति १०६ उक्कोस कर्माजीविन् ९२ उक्कोस २३२ उक्कोसस
मत्स्यजाति २२८ उक्खणंत क्षुद्रजन्तु २३८ उक्खलिका इन्द्रध्वज १०१ उक्खली क्षुद्रजन्तु १७३-२२९ उक्खंभमाण स्थलचर बहुपदा २२७ उक्खित्त
१०१ उक्खित्ततुंबिक २०६ उक्खुली
उ
इन्द्रध्वज २११ उखलिका
इन्द्रमह १०१ उग्गहित इन्द्रवर्धक १०१ उन्चाहित ८ उच्चपातरास पुष्प ६३-१७३ उच्चपति उच्चारित
ई ईषदभिमर्दित २५ उच्छंदण ईषत्सम्पीडित २२ उच्छाडित ईषदुष्ट २२ उच्छुद्ध उच्छुरस उदपान १६७ उज्जवणिका एकचत्वारिंशत् ११७ उजागगिह उत्कृष्टा २४-३३ उब्जाणभोज्ज शोकार्त १२१ उज्जालक उत्कृष्टापकृष्ट ८६ उज्जुउल्लो उत्कर्षति ८० उज्जुकाणि उत्कर्षापकर्षात्
१० उज्जुकामास वकर्ष १५ उज्झत
द्वितीयं परिशिात्म्
उत्कण्ठा १३६ उज्झीयति किया. १४८ उट्टपाल २०६ उट्टिका
भोज्य १८२ उट्ठितपट्ठ
उल्कापात
पत्र
शब्द
१७६-२१५ उट्ठित्त उत्कुब्ज १८४ उडुजोणि
उत्कृष्ट ९३ उबर
उत्कृष्ट १७० उणमासक ध्वनि १७३ उण्णत उत्कुटुक ३७ उण्णतजोणि भाण्ड ७२ उण्णता उत्कूज १५५ उण्णमंत उत्कूणित १२३ - १४८ उण्णरूव
ध्वनि १७३ उण्णवाणिय
पक्षी २२५ उण्णामित देवता ६९ उण्णिक
क्रिया.
उत्खनत् ३८ उण्हणाभि उदूखलिका १९१ ठण्डा उदूखली ७२-१४२ उण्हाली उत्तम्भयत् ४२ उण्हिअ उत्क्षिप्त १७९ उण्हिपुण्णामतेल्ल ८१ उण्होलक
भाण्ड १९३ उतदुंबरमूलीय ? उदखलिका २२१ तु उद्गृहीत १४८-१७१ उत्तमजोणि
उद्घाटित १४८ उत्तममज्झिमसाधारणाणि २४९ उत्तमाणंतराणि क्रिया. १०७ उत्तमाणि वीसति क्रिया. १३२-१७० उत्तमामास
क्रिया. १९३ उत्तरजोणि अउच्छादित १०६ उत्तरदारिक उत्क्षिप्त १७१ उत्तरपच्चत्थिम १८१ उत्तरपच्छिम उद्यानिका २४९ उत्तरपुरत्थिम उद्यानगृह १३८ उत्तराणि उद्यान भोज्य २५६ उत्तरिज्ज ९१ उत्ता ३४ उत्ताणपस्सिक
ऋजूल्लोकित
५९ - १२८ उत्ताणरत १३० - १६९ उत्ताणसेज्ज
उज्झत् १४८ उत्ताणाणि उत्शीयते २५० उत्तानुम्मत्यकाणि
उष्ट्रपाल कर्माजीविन् १६० उत्तममज्झिमसाधारणाणि
भाण्ड ७२ - २१४ उत्थत
२१४ उत्थित
For Private & Personal Use Only
२८५ पत्र
क्रिया. १३३
१४०
वृक्ष ६३ सिक्कक ६६
उन्नत
उन्नमत् ३३-१३५
१४२
कर्माजीविन् १६० क्रिया. १६८ - १७० और्षिक १६३
उर्णनाभ
३३-१२४ १४०
५८
किया.
५८
चतुष्पदा ६९ भोज्य १८१
२३२
६३
९
ऋतु १९१
१३९
९६ १२८ ५७-९३ १४५ - २०१ १३९
२०६
वृक्ष
५८
१११ ५८ ५८- ११० उत्तरीय ६४-१६४ ३८-२३६
उक्ता
उत्तानपाश्र्विक २४९
१८४ २४९
060
उत्तानशय्या
१२८
५९ - १२५ ५७ १४८
किया. १६८ - १७०
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470