Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

Previous | Next

Page 424
________________ ३२१ पक्षी २२५ सोतसा १५३ पक्षिणी दर सोदरिय सोपरत्त पत्र गुल्मजाति ६३ शोकात १२१ शोणित १७७ श्रोणिउपघातन १८५ आभू. ६५ श्रोणिका ८५ गुडप्रकार १७६ श्रोतसा ५६ गोत्र १५० सोदरिक १६८ २२१ देवता २०४ ___ १०१ १०१ सोमपायिन् १०१ सोपान ३१-३३-१३६ ५९-१२५-१२८ वस्त्र ७१ आभू. १६२ आभू. ६५ सुवरी द्वितीयं परिशिष्टम् शब्द पत्र शब्द पत्र शब्द सुराधरित कर्माजीविन् १६० सेड श्वेत १५३ सेंदकंठक सुरादेवी देवता २०५ सेडककंद १०४ सोकत्त सुरालायुल्लोधिकमच्छक ? २०९ सेडकणवीर श्वेतकर्णिकार १०४ सोणिय सुवण्णक सिक्कक १८९ सेडकफलिका श्वेतफलिका १०४ सोणियओघायण सुवण्णकाकणी सिक्कक ७२ सेडगद्दभक श्वेतगर्दभक चन्द्रविकाशिकमल पोजिसन सुवण्णकार कर्माजीविन् १६० सोणीआ सुवण्णखयित धातुवस्त्र २२१ सेडि सेटिका १०४ सोतगुल सुवण्णखसित धातुवस्त्र १६३ सेडिका सुवण्णगुंजा ७२ सेडिल सुवण्णजूधिगा सोत्तिया पुष्प ७० सेडीका पक्षी २३८ सुवण्णपट्ट धातुवस्त्र १६३-२२१-२३४ सेणा सुवण्णपडिपोग्गल . १४२ सेणायपतिणी सेनास्वामिनी ६८ सुवण्णमासक सिक्कक ६६-२३९ सेणिका गोत्र १५० सोमकाइय सुवण्णाधियक्ख सुवर्णाधिपाख्य १५९ सेण्ही पक्षिणी ६९ सोमणाम सुवण्णिक कर्माजीविन् १६० सेत वर्ण १०४ सोमपा चतुष्पदा ६९ सेतगुलिका उद्भिज्ज २२९ सोमपाइ सुविण स्वप्न १ सेतणिप्फाव धान्य १६५-२३२ सोमाण सुविणो अज्झायो १८६-१९१ सेततिला धान्य १६४-२२०-२३२ सोमाणि सुसाणदेवता देवता २०६-२२४ सेतवीही धान्य १६४ सोमित्तिकी सुस्सवमाण शुश्रूषमाण ५ सेतसासय धान्य २२० सोवण्णमय सुहस्सहा आसनविशेष १७ सेतसुरा सुरा १८१ सोवण्णसुत्तग सुहत् १९ सेतस्सतरा । १५० स्वरपिता सुंकसाला शुल्कशाला १३८ सेतुकम्म सुंकसालिय शुल्कशालिक १५९ सेद सुंसुमारा मत्स्यजाति ६२-२२८ सेदणिम्मज्जण क्रिया १४८ स्वाहाडंडपडीहार सुसुमारी परिसर्पजाति ६९ सेदपरामास १४६ स्सा सूकमिद्दा कृमि २३० सेदसाड श्वेतशाटक सूकमिंडा कृमि २२९ सेधक पशु २२७ सूकरिका वृक्ष ? २३८ सेलबिलासया हडिका २२७ सूचिकाणि १२६ सेलमय धातुवस्त्र २२१ सूचीका हस्त आभू. १६३ सेलुफल सूणावावत सूनाव्याप्त १५९ सेलूडक फल ६४ हत्थकडगाणि सूतमागध कर्माजीविन् १६० सेवणारत १८३ हत्थकलावग सूय ? __३९ सेवपूति वृक्षजाति ७० हत्थखड्ग सूयीणि . ५९-१२८ सेवालय सेवालक २१८ हत्थभंडक सूराई ५९-१२६ सेवितविधिविसेस ५९ हत्थमंडलक सूरुग्गमिक वर्ण १०५ सेवितविभासापडलं ५६ हत्थसंलग्ग सूवोदण सूपोदन भोज्य १९७ सेविताणि ११-५३-१३८ हत्थसोंडक शय्या २६ सेवियविहि सेवितविधि ९-१० हत्थाधियक्ख सेट्ठिणो गोत्र १५० सेसा शेषा १४७-१६८ हत्थारोह ni सुही १३८ स्वरविज्जा श्वेत २१८ स्वरान्त स्वरान्त १५१ स्यात् २५ ६४ २३८ हणुकायं काष्ठबन्धन ११५ हनु ११४ हनुके १२७ हस्त आभू. १६३ हस्त आभू. ६५ हस्त आभू. ६५ हस्त आभू. ६५ सेज्जा हस्तसंलग्न ४१ त्रीन्द्रियजन्तु २६७ कर्माजीविन् १५९ कर्माजीविन् १६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470