Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 432
________________ .३२९ पत्रम् १९४ १६९ धातुरूपम् पढित पढिहिति पणामयंती पणीवते पतंत पतिगिण्हंती पतित पतिसिज्जति २६५ १९३ १९४ १९४ पते १०८ पवेदये २४५ पवेदिय २१५ पवेदेज्ज १६२ पवेदेज्जो पत्थरिय पत्थारइत्तु ४३ २४-४७ १०७-१९८ १३३-१७६ पासत १६९ पसस्सई १६९ पधावति पधोवण पधोवंत पपतण पपुत पप्फडित पप्फोडित पब्भट्ट पमुक्क पमुच्चति पमुच्छित पमुट्ठ ६७-८७ १७१ १४८ तृतीयं परिशिष्टम् पत्रम् धातुरूपम् पत्रम् धातुरूपम् ८१ परिचे?ति ८० पविट्ठ ८४ परिदेवंत ३६ पवियात १६९ परिदेवित १५५-१६८ पविसित ५६ परिधावति ८० पविसित्तु ३६ परिपुच्छेज्ज ७६-७९ पवेक्खति १६९ परिपुच्छेज्जा ६० पवेक्खयि १५५ परिब्भमे ८. पवेखति १२६ परिभीत ४५ परिमज्जित ११७ परिमत्थित ७ परिमद्दित ४५ परिलीढ पवेसित ८० परिवत्तते पवेसियमाण १९३ परिवद्धित ३९ परिसक्कतो पसस्सए १४८ परिसवंत पसस्सति पसस्सते १५५ परिसडित पसंखित्त १७१ परिसाडिय पसादित १६९ परिसुक्क १७१ पसाधेहिति १४८-१७१ परिसोडित पसायति १६९-१७६ परिस्संत पसारित १०८ परिहायति पसारेति १६९-१७१ परिहायिस्सति १७१ परिहित . १३० पलित २१५ पलिहित १०६ पहिज्जते १३०-१७६ पलोट्टित ८१-१९७ पाउणेति १७१ पलोयंत १५५ पलोलित १६९-२१७ पागडिय १३५ पलोलिय ३७ पवक्खामि ५९-८१ पाढेति ७ पवज्जे ९ पातित ७६-९८ पवट्टित २५५ पातुणंत १०८ पवडंत १३५ पावइ २५७ पवत्तउ ८ पावति १६९-१७१ पवयण सं० प्रपतन ४५ पाविस्सति २०० पवविस्सामि ९ पाविस्ससि १०८ पवसित १९३ पाहिति ६२ पवादित १६८ पांगुहिति १४७ पवायण १४८ पिणिद्धत १७१ पवायित १७० पिणेधण ११ पवासण ८० पविजाणिया १०८ १०८ १६९ पसुत्त १३०-१९३ पस्से १५५ पहत पमुत २०० पम्मुय पम्हुट्ठ ४२ पाउत ४१-१९३ २४५ १३०-१६८ ८१ पागुत १४८ ८३-१२३ पम्हुत पयलाइत पयलायमाण पयलायंत पयहिऊण पयाहिति पराजित परामसति परावत्त परावत्तिय पराहूत परिकित्तित परिक्खीण परिखड परिक्खेत परिघुमति १९३ पित ५६ पिधयित्ता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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