Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 435
________________ ३३२ धातुरूपम् विलिपिहिति विलूहित पत्रम् १४८ १८६ विलोकंत विलोचित विवज्जये विवद्धये विवाडेती विसज्जेति विसलाइत विसंधित विसिण्ण विसोधह ४७ ३०-८१ सम्मज्जित १०८ सम्मद्दित १२२ सयते विहत वूहित वेदयति वेदयते वेलंबित वेलंबेति .० ०० ० ००० १२२ २५४ १२१ वेवित वोकसित अंगविज्जान्तर्गतानां प्राकृतधातुप्रयोगाणां संग्रहः पत्रम् धातुरूपम् पत्रम् धातुरूपम् ८४ समारोधण १९३ संसरित १०६ समाहरंति १०७ संसावित ४२ समिज्झये ५ संसिज्जमाण ३४ समुद्रुति ८७ संसित ५ समुढेहिति ६७-८० संहरमाण ५ समुदीरेति १०-८७ संहरंत १६९ समुपेक्खिय १४९ संहित १०८ समुस्सवण १९३ सा सं. स्यात् ८० समेहिति ८४ सातिज्जित १६८ समोखिन्न १९५ सातिट्ठिस्सति ८१-१९५ सिक्खइ ८१ सिक्खिहिते ८३ सिज्झतु ससित १४८ सिवितालित सस्सावित १३३ सुज्झति संकापित २५४ सु[ण]ते संचिट्ठते ८३ सुणेति संचिट्ठिस्सति १७५ सुयित संचित १४८ सुस्सति संजाणति ८३ सुहित संजायते ८३ सूयए संजोगेति २४६ सूयते संजोयेति २४६ सेवित्ता संतप्पते २४७ सोभंते संतिट्ठिस्सति १७६ सोभिहिते संधावति ८० स्सा सं. स्यात् संधुत संपकप्पते १२३ हणति संपडिपेक्खित्ता ४१ हणे संपतिवत्तते ८३ हवति संपधारए ११ हसते संपरिकित्तिय २ हसंत संपवेदये १४ हसित संपवेदेज्जो ५५ हसीयमाण संपादेंत ३८ हायति-ते संपावित १७६ हारित २५८ संपिंडित ११५ हित्थत २२-११५ हिसेत ५५ संभवति ८३ हुंडित ८३ संभंत ३७ हेडित ३७ संविट्ठ १९८ होक्खति ५ संविभावये ३६ होति १६८-१७० संवेल्लित ११५ होहिति वोच्छं ६९-८३ वोच्छामि वोसट्टमाण १४ ८० २३५ ३६-१३५ ३५-१४५ सक्कारित सक्कारेमाण सण्णिकासिय सण्णिकुट्टित सण्णिरुद्ध सज्जिज्जमाण सण्णद्ध सदिवारित समक्खात समणुवत्तति समतिकंत समतिच्छिय समभिजाणइ समल्लिकंति समाचरे समाणयंत समाणये समाणित १४८ ४ संपीलित १४८ १४८ १४८ ८४-९० १०७ ८४-२३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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