Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 434
________________ ३३१ पत्रम् ११७ धातुरूपम् वक्खामि वक्खायिस्सामि वज्जिहिते वट्टति वट्टिहिति वड्डए वड्डीयत वत्तते वत्थित १४८ १५५ तृतीयं परिशिष्टम् पत्रम् धातुरूपम् १०८ विक्खरइ १९२ विक्खण्ण ८४ विक्खित ६६ विक्खित्त ८४ विक्खिन्न ९ विक्खिरे २३६ विक्खिवमाण ८३ विक्खिवे ११७ विखद्धित ६६ विखिवंत विगलिय विगिलते पत्रम् धातुरूपम् ४५ वित्थिण्ण १०८ विदू १९९ विद्ध ३८ विधत्त ८०-१६८ विधावति ४५ विधीयति १३६ विधीयते विपडत विपाडित विप्पकड्डित विप्पकिण्ण विप्पघोलति विप्पजोयित विप्पमुक्क १६८ विप्परिचेट्टते ६३-१०७ १११ १२२ १६८-१७१ वदे १९५ ८०-१०८ १०७ विघोलते विप्पलोट्टित वधिस्सति वन्नयिस्सामि वष्फति वयंत सं० पतत् ववस्संति वंत वंदहे वंदामि वंदिऊण वंदित वाइय वादित वापण्ण वायए वायंत वायेज्जो वायेहिति वाविद्ध वासति वासित १७१ विप्परिवत्तते १६८-१७१ १४८ विप्पसारित २३५ विभाएज्जो विचलित विच्छिण्ण विच्छित्त विच्छिन विच्छुद्ध विच्छोभण विजाणेज्जो विजाणेति विज्जा विज्जिस्सति विज्जिहिति विज्जिहिते विज्जेहिति १०८-१३० विजेहिते २५७ विज्झवित ८३ विज्झीयति १०७ विट्ठ १५२ विणत ४७ विणमंत १२-६१ विणस्सिस्सति ८०-१०८ विणासण १०८ विणासिज्जमाण १५५ विणासित १३० विणिद्रुत १७ विणिकोलंत ४२ विणेच्छिति १५५ विण्णातूण ३६-६० ८३ विभावेतूण १८-२१ विमाणित ८३-१७६ विमिसंत ९० वियंभंत ८१-९८ वियाकरे ७५-७९ वियागरंति ११० वियागरिज्ज १६८-१७१ वियागरे २५० वियागरेज्ज १६८ वियाजिज्जमाण वियाण ३७-१३५ वियाणिज्जो १६९ वियाणिया १४८ वियाणीया वियाणेज्जो १०८-१६८ वियाणेय विरुब्मति १४९ वाहरति १९८ १५५ २४ १४-८४ २२ २४६ १९८ वाहित विआकरे विआगरे विकड्डति विकड्डित विकंदित विकंपण विकंपिय विकुणंत विकुणित विकूणि विकूणित विक्कंदिय १०८ १९७ १८४ विह १३० वितत ४४ वित्थत ८४ विरोहंत १२७ विलंधित १९४ विलित ११७ विलिपति ११७ विलिपंत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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