Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

Previous | Next

Page 390
________________ शब्द उवथूलाणि उवदासिताणि उवद्दित ? उवहुत उवहुतामास बहुतो अग्झायो उवधाइणि ? उवधारए उवधि उवष्करिसते उवलक्खये उवलगिह उवलद्ध उवलेवमंडल स्ववत्तिविजय अज्झायो उववुत्त उवसक्कंत उवसक्किअ उवसक्किअम्हि उवसक्कित उवहित वातापुरामाणि स्वादिष्ण उववसित उवविट्ठविहि उपविष्टविधि ९-१०-११-१३ उववित्त उवे उवेसंत उव्वट्टण उव्वरक उव्वरित उव्वलित उव्वलेंत उव्वात उव्वेल्लित उल्हासित उसगीतेच जमतेव उसभक उसिण उस्सओ उस्सणिकामत्त आलिङ्गितानि १३८ उत्सव क्रिया. १४८ उस्सात उपद्रुत ५८-१२२ उस्सारित २०१ उस्साहिया २०२-२०४ उस्सित १८ उस्षिण उपधारयेत् १०० उस्सिथित उपधि- माया २६५ उस्सीस उपस्पृशति १०७ गुणी उपलक्षयेत् १९७ ठंडणाही उपलगृह १३७ उपलब्ध १७० ऊरुजालक ११६ ऊहस्सित Jain Education International पत्र शब्द ५८-११४- १२८ उस्सयभोयण २६४ उपोषित १९३ ऋरिकसुन १५ एकणासा उपवृत्त १०० एकभस्स उपष्वष्कमाण ३७-१३५ एकवेद उपष्वष्कित १६ एकाणंसा उपष्वष्किते १७ एकावलिका उपष्वष्कित १८४-१९३ एक्ककाणि उपहित २०२ एक्कग्गमणता १२८ एक्कभस्स २१७ एक्कसिरीय उपविष्ट १८४ एकापविदूरत उपादत्त उपविशत् १३५ एक्केक्क उद्वर्त्तन अपवरक १९३ एगपादट्ठि १९५ - २२० एण उद्धरित उद्वलित १०६ एतेसं १११ एताय उद्वलत् ३८ एतेसां उद्वात १२२ एलुक उदेखि १०८ एलुष उद्वेल्लित उदैहासिक १४८ एलूग २३२ एसकल्लाण २३२ द्वितीयं परिशिष्टम् आभू. ६४ ओकद्र उष्ण १२४ ओद्रित उत्सवः ९८ ओकड्डित कर्माजीविन् १६० ओकासक पत्र शब्द उत्सवभोजन १८० ओकुंभ ? उत्सव २२३ ओकूर्णत ऊष्मान्त १५१ ओगूढ उत्सारित ११५ ओघट्ट उच्छाखिका २२२ ओघट्टित उच्छ्रित १३२-१७० ओचक्खति ? आघ्राण १९३ ओचूलक १४८ - १८६ ओछुद्ध उच्छीर्ष ६४ ओमीण वृक्षजाति ७० ओड्ड क्षुद्रजन्तु २२९ ओणत आघ्रात ऊ ऋ ए देवता २०५ एकभाष्य एकवचन १५१ गोत्र १५० देवता २२३ आभू. ७१ ५९ एकाग्रमनस्कता १३५ एकवचन १५७ एकसरिक १४१ १८४ ओणमंत आभू. ६५ ओणामित क्रिया. १७६ ओणिपीलित ओतारिअ ११२ ओतारित ओतिण्ण एकैक १२६ एकपादस्थित ३३ एतं ५६ - ११४ ओधुत ओपणिव्वय ओपविका ओपुष्फ ओपेसेज्जिक ओबाधित एतया २३६ एतेषाम् १४५ एतेषाम् ७३-१४१ ओमज्जित ओम देहली २३३ ओमत्थकाणि देहली २२२ ओमत्थि देहली ५-३३ ओमथित ८३ ओमाहित एष्यत्कल्याण ओ अवकृष्ट ओतिष्णोतारित ओदणपिंडी ओदनिक ओदीयसिह ओधावति ओहि ओधिजिण ओमुक अवकृष्ट १६ ओमुक्क १७१ - १९५ ओमुंचमाण अवकृष्ट १६९ ओयकार कर्णआभू. १६२ ओयमा For Private & Personal Use Only २८७ पत्र २४३ अवकूणत् ४२ अवगूढ ८६ अवघट्ट १४७ अव १४८ किया. ८३ शीर्ष १६२ अवक्षिप्त १६९ अपक्षीण ११४ कर्माजीविन १६१ अवनत ३३- ४२-१६९-१७१ अवनमत् ४२-१३५ अवनामित १६९-१७१-१८४ अवनिपीडित १४८ अवतारित १६९ अवतारित १७१ अवतीर्ण ३३-१७१ क्रिया. १११ भोज्य ७१ कर्माजीविन् १६० ९१ अवधावति ८० उपधिगृह १३६ अवधिजिन १ अवधुत ८०-१४८ क्रिया. १९५ क्षुद्रजन्तु २२९ ८१ कर्माजीविन् १६० अवबाधित १४३ ३३ अवम अपमार्जित १२० - २१९ १२९ अधोमुखीकृत १७१-२१५ अवमथित १६९ अवमंदित १६३ अवमुक्त १६२ अवमुक्त १६९-१७१ अवमुञ्चत् ३८ कर्माजीविन् १६१ गोत्र १५० www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470