Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 405
________________ १३९ ३०२ शब्द धातुजोणीसमुत्थाण धातुमय धावित धिवलागत ? धीतर धीतरी धीता धीया धुत दुहितृ ५१ पक्खपेंड भाण्ड २३० पक्खात धूतुल्लिक धूपगत धूमणत्त धूमणाली घेताणि धोतक? धोवमाण पक्षवेष्टया ४२ पज्जणी प्रख्यात १८५ पज्जायवायग नपंसकविशेष ७३-२२४ पज्जिया ६२ पज्जुवासंतो प्रक्षरगत २३० पज्जोवत्त धौतक १०४ पखरगत वस्त्र १६३ पट्टकार १५३ पघंस अंगविज्जाए सद्दकोसो पत्र शब्द पत्र शब्द पत्र २७ पउण्ण वस्त्र ७१ पच्छिमदारिक २०६ आभू. १६२ पउमकेसरवण्ण ९० पच्छिमाणि १०९-१२८ धौत १४८ पउली प्रतोली १३७ पच्छिमुत्तरजोणि ४१ पएणि वस्त्र ७१ पच्छिमुत्तरा १२८ दुहित २१९ पकंठा २२२ पच्छेलित प्रसेण्टित १४६-१७०-१८४ दुहित २१९ पकिण्ण प्रकीर्ण १६९-१७१ पच्छोलित प्रच्छोटित १६८ दुहितृ ६० पकुट्ठ प्रक्रुष्ट २१५ पजाणवं प्रज्ञानवान् ४८ दुहित २१९ पक्कासय पक्वाशय २०३ पजातिस्सति प्रजनिष्यते १७० किया. १४८ पक्खच्छयक पक्षच्छदक ८१ पजायिस्सति प्रजनिष्यते १६९ पक्षपिण्ड ११७ पजोजयिस्सं प्रयोजयिष्यामि ११२ भाण्ड ७२ पक्खपेंडकत पक्षपिण्डकृत १३५ पज्जजतु अङ्ग १५५ दोहदप्रकार १७२ पक्खवेढाय वर्णमृत्तिका २३३ पर्यायवाचक २५ धूम्रनलिका २५४ पक्खापक्खि नपुंसकविशेष ७३-२२५ प्रायिका ६८ हेयानि ३२ पक्खिजोणिय पर्युपासयन् १९७ पर्यपवर्त्त २४७ धावयत् ३८ पगति प्रकृति १७३ पगलेत प्रगलत् ३८ कर्माजीविन् १६० नर्तिका पग्गाहक प्रग्राहक ७९ पट्टिक वस्त्र १६४ दोहदप्रकार १७२ पट्ठकव्व पाठ्यकाव्य १४७ पघंसंत वनस्पति प्रघर्षत् ३९ पट्ठिवंस पृष्ठिवंश २१४ प्रघातन १४८ पड वस्त्र ६४ पचच्चण प्रचर्चन १४७ मातुर्माता ६८ पडमट्ठ भोज्य ७१ पचलाइयाणि सत्त नामप्रग्रह १५१ पटल २७ पचलायणा प्रचलायनात् ४४ नामिस्वराः १५३ पडाका पताका १४२ पच्चउदग्गीय प्रत्युदनीय १६८ नार्याः १७ पडालिका भाण्ड ७२ पच्चत्थरण वस्त्र १६४ कर्माजीविन् १६० पच्चत्थिमा पडिउज्जमाण प्रतियुज्यमान १९६ नि:क्षोभ ? १६८ पडिओधुत पच्चवदाण प्रत्यवदान १४७ प्रत्यवधूत १६९ १-२ पच्चवर दे० श्रेष्ठ १७-१९-९५ पडिकम्मगिह प्रतिकर्मगृह १३६-१३८ निमीलित २०६ पच्चवरजोणि प्रतिकर्मगृह २२२ प्रत्यन्तपाल ८९-१५९ पडिकुंडित प्रतिकुञ्चित १५४ प्रतीप्सित १६८-१७० प्रतिक्षिप्त १६९-१७१ प्रतिनामित १७१ नीचैर्मुख १४३ पच्चालंबिज्जमाण प्रत्यालम्ब्यमान १९८ १९. पडिणायित प्रतिनायित १६९ १३ पच्चालंबित प्रत्यालम्बित १९८ पडिणिवेसा . प्रतिनिवेशात् ४८ पच्चाहरणक प्रत्याहरणक ९७ पडित पतित ४४-१६९ प्रतिष्ठितायाम् १९ पच्चोदार प्रत्यवद्वार ९ पडितविभासा अज्झाय ४५ प्रतिभावत् ४ पच्छत प्रच्छद ६४ पडिदिण्ण प्रतिदत्त १६९-१७१ पत्यौ १६ पच्छादित प्रच्छादित १४८ पडिपिक्खिया प्रतिप्रेक्षेत १५ प्रतिरिक्त-शून्य ११९ पच्छिमजोणि १३९ पडिपेक्खिज्ज प्रतिप्रेक्षेत १४ प्रचलायित ९-१० पच्छिमदक्खिणा १२८ पडिपोग्गल प्रतिपुद्गल १४०-१४४ अङ्ग १५ पघातण नत्तिका नन्नत अक्खरे नलिणी नहट्ठिका नानिका नामपग्गह नामिस्सरा नारीय नाविक निच्छोभे निमित्त निमिल्लिय निम्मट्ठा निरागत निल्लक्खित निन्विगंदि नीयम्मुख नेमित्तमुपधारणापडलं ११ पडल ५८ १३९ पाडकम्मघर ८७ पच्चंतपाल किया. २०२ पच्चंतवसति निर्लक्षित १७१ पच्चंतिम निर्विगन्धि १६१ पच्चंवरकाया प्रत्यन्तवसति ८९ पडिच्छित प्रत्यन्तिम १६२ पडिछुद्ध १४९ पडिणामित पइट्ठियायं पइभाणव पइम्हि पइरिक्क पइलाइय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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