Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

Previous | Next

Page 398
________________ छीत 11303 छेलित छेलित द्वितीयं परिशिष्टम् २९५ शब्द पत्र शब्द पत्र शब्द पत्र छिदंत छिन्दत् ३८ जधण्णाणि .१२८ जाणगिह यानगृह १३६-१३८ छिदंती छिन्दती १६९ जधण्णामास २०१ जाणजोणी अज्झाय १६५ क्षुत १६८ जधाजात यथाजात ४४ जाणसाला । यानशाला १३८ छीयमाण क्ष्यमाण १३५ जधाणात यथाज्ञात ५६ जाणिज्जो जानीयात् १५-१७ छुधा क्षुधा १६८ जधामाणसिक वस्त्र ? १६४ जाणि ज्यानिम् ५३ क्षुण्ण १४८ जधाविधि यथाविधि ४६ जाणेज्जो जानीयात् ३६-४४-५४ छुपगत वनस्पतिप्रकार १७७ जधावुत्त यथोक्त ४४ जातकम्म जातकर्म १४७ छुभगत वनस्पतिप्रकार १८१ जधासत्ति यथासत्ति ६३ जातिणक्खत्त २०९ छुवफल १७७ जधोद्दि? यथोद्दिष्ट ४३ जातीतेल्ल २३२ . छुहा सुधा १०४ जमलभूसण १५६ जातीपट्टणुग्गत वस्त्र १६४ छुछिका चतुष्पदा ६९ जम्मणा ५८ जातीपडिरूपक वस्त्र १६४ छेत्तमंडल क्षेत्रमण्डल ११६ जयकालिका सुरा २२१ जातीविजयो अज्झायो १४९ छेलंत सेण्टिका कुर्वत् १३५ जयतणं ? ५४ जामवेला २४७ सेण्टित १४८-१७३ जयविजय ? १४६ जामातुकीक जामात्रिक सेण्टिकां कुर्वत् ४६ जयसमण पुष्प ७० जामिलिक वस्त्र जयो अज्झायो १९९ जारिका जारी जइणक कर्माजीविन् १६०. जलगिह जलगृह १३७ जारीय जार्याः १६ जक्खोपयाण यक्षोपयाचन १८३ जलपस्संदण जलप्रस्यंदन १९७ जाला कृमिजाति ७० जगतिजगभूय जगतीजगद्भुत ६ जलाउ द्वीन्द्रियजन्तु २६७ जालिंकर किया. १४८ जगल सुरा २२१ जलामास १४६-१८६ जावक गोत्र १५० जग्गंतक अग्निज्वालनकर्कटिका २५४ जवभज्जिय भोज्य १८२ जावतिक यावत्क २३८ जग्गिक वस्त्र २३२ जवातू यवागू १८१ जिणसंथवो अज्झाओ जघण्ण जघन्य ४८ जसवओ यशस्वतः ९ जिणोत्त जिनोक्त ५ जज्जरित किया. १४८ जहण्णकाया १२८ जिस्से यस्यां २४९ स्थानविशेष १३८ जहण्णाणि ५७-९४ जिह्यमूलीय १५३ जणक कर्णआभू. १६२ जंगम ५८-१२१ जीवंजीवक पक्षिन् ६२ जण्ण यज्ञ १२१ जंगमाला पुष्प ७० जीवंतायणा गोत्र १५० जण्णकारि यज्ञकारिन् १०१ जंघावाणियक कर्माजीविन् ७९ जीवितद्दार १४४-१४५ जण्णजण जन्यजन ९८ जंतुतर अङ्ग ८३ जुगमत्थ युगमस्तक ११५ जण्णमुंड यज्ञमुण्ड १०१ जंपितविभासापडलं ४८ जुग्ग वाहन १६६-१९३ जण्णुकाणि अङ्ग १२४ जंपिताणि सत्तेव ४७ जुण्णवय जीर्णवयः १०० जण्णुगसंघी अङ्ग ११४. जंबुफल फल ६४ जुत्तग्घ १६३ जण्णेया ५८-१२३ जंबुफलक भाण्ड ६५ जुत्तग्घम्हि युक्ताये १६ जण्णोपइतक यज्ञोपवीतक १०१ जंबूका आभू. ७१ जुत्तप्पमाणदीहाणि ११५-१२८ जतुकार कर्माजीविन् १६० जंभाइत जृम्भायित ४७ जुत्तसंपीलित युक्तसम्पीडित २२ जतुमज्झ अङ्ग ७७ जंभाइयाणि सत्त ११ जुत्तामासाय ९३ जतूणि अङ्ग ६० जंभायमाण १३५ जुत्तोपचया ५८-११४ जत्ताज्झायो १९९ जंभित किया. १४८-१६८-१८४ जुत्तोवचयाणि ५८-११४-१२८ जत्तूणि अङ्ग ९५-१०१-११५-१२१ जंभितविभासा पडलं ४७ जुवतीयो १२५ जधजुत्त यथायुक्त ४४ जागी पुष्प ७० जुवतेयाणि ५९-१२८ जधण्णकाया ११७ जागू यवागू ७१-२४७ जुंगलिका त्रीन्द्रियजन्तु २६७ जधण्णतरका १२८ जाचितक याचितक १६५ जूतगिह द्यूतगृह १३६ जधण्णतरका काया ११७ जाणक यानक २६ जूतसालाय द्यूतशालायाम् १३८ huni sss . 136,114 1 1 13111 जणक 2 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org 1

Loading...

Page Navigation
1 ... 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470