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अनेकान्त/23 अभिव्यक्ति की दृष्टि में मूर्ति उत्तर प्रतिहार कालीन शिल्प कला के अनुरूप है।
गोमेद्य-अम्बिका : बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ के शासन यक्ष-यक्षी गोमेद्य-अम्बिका की प्रतिमा ग्वालियर दुर्ग से प्राप्त हुई है। (स.क्र. 294) गोमेद्य अम्बिका सत्य बलितासन में बैठे हुये है। गोमेद्य की दायी भुजा एवं मुख भग्न है। बायीं भुजा से बायीं जंघा पर बैठे हुये बालक ज्येष्ठ पुत्र शुभंकर को सहारा दिये है। बालक का सिर भग्न है। वे मुक्तावली एवं केयूर धारण किये हैं। अम्बिका की दायीं भुजा में स्थित आम्ब्रलुम्बी भग्न है। बायीं भुजा से बालक कनिष्ठ पुत्र प्रियंकर को सहारा दिये हुये है। देवी आकर्षक केश, चक्र एवं पद्म कुण्डल, मुक्तावली, उरुबन्ध, बलय व नूपर धारण किये है। देवी का दायां पैर पद्म पर रखे हुये है। बायें पार्श्व में आम्बलुम्बी आँशिक रूप से सुरक्षित है। उसके नीचे एक पुरुष अंकित है, जिसकी दायीं भुजा भग्न है । बायीं भुजा कट्यावलम्बित है। पादपीठ पर दोनों
ओर दो कुन्तलित केश युक्त ललितासन में दो प्रतिमा अंकित हैं। जिसकी दायीं भुजा अभय मुद्रा में बायीं, बायें पैर की जंघा पर है। मध्य में दो योद्धा युद्ध लड रहे हैं। राजकुमार शर्मा की सूची में इस मूर्ति को स्त्री-पुरुष दो बालक लिखा हुआ है। 11 वीं शती ईस्वी की यह मूर्ति कच्छप धात युगीन शिल्प कला के अनुरूप
अम्बिका : बाईसवें तीर्थकर नेमिनाथ की शासन यक्षी अम्बिका की तीन प्रतिमाएं सुरक्षित हैं। प्रथम तुमेनजिला गुना मध्य प्रदेश से प्राप्त हुई है। (संक्र 49) सव्य ललितासन में सिंह पर बैठी हुई है। बाई जघा पर लघु पुत्र प्रियंकर खडा हुआ है दायें ओर ज्येष्ठ पुत्र शुभंकर खड़ा हुआ है। देवी दायीं भुजा में आम्रलुम्बी लिये है एवं बायीं भुजा से अपने लघु पुत्र प्रियंकर को सहारा दिये हुये है। देवी आकर्षक केश, कुण्डल, मुक्तावली, केयूर, बलय, नूपर पहने हुये है। ऊपर आम्रवृक्ष की छाया है। लघु पुत्र प्रियंकर का मुख भग्न है। एस आर ठाकुर ने इस मूर्ति को पार्वती लिखा है। जबकि डा. ब्रजेन्द्र नाथ शर्मा ने इसको अम्बिका ही लिखा है। डा राजकुमार शर्मा की सूची में इस प्रतिमा को पार्वती लिखा गया है। पांचवी शती ईस्वी की यह मूर्ति गुप्त कालीन शिल्प कला के अनुरूप हैं
बदोह जिला विदिशा से 8 वीं शती ईस्वी की दो शासन देवी अम्बिका प्रतिमा के ऊर्ध्वभाग प्राप्त हुये है। प्रथम तीर्थकर नेमिनाथ की शासन यक्षी अम्बिका (स. क्र. 246) का उरोज से नीचे का व बांयाभाग भग्न है। देवी के ऊपर दायें ओर आम्ब्र लुम्बी की छाया है। यक्षी आकर्षक केश, पद्म व चक्र कुण्डल, मुक्तावली व उरोज तक फैली त्रिवली हार पहने हुये है। मुख मुद्रा सौम्य है।
दूसरी यक्षी अम्बिका प्रतिमा का उरोज (स.क्र. 249) से नीचे का भाग एवं हाथ अप्राप्त है। पीछे प्रभावली सिर के ऊपर त्रिफण नाग मौलि केश रत्न पट्टिका से सुरक्षित है। अन्य आभूषणो मे चक्र कुण्डल, मुक्तावली एवं उरोज तक फैली त्रिलड़ी युक्त हार शोभायमान है। मुख मुद्रा प्रसन्न चित्त है। कलात्मक अभिव्यक्ति की दृष्टि से दोनों प्रतिमा प्रतिहार कालीन शिल्पकला के अनुरूप हैं।