Book Title: Anekant 1996 Book 49 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 28
________________ अनेकान्त/25 कत्थए संदेहो ।। लएहं । एल कण तजति टंके चउरो विस्साय मिरिय बेटकं । दहिसक्कर संजुत्तं पित्तं पणासेई ।। 31 सरिसम उसीर धत्ती णियंव छल्लीय कत्थपीएण | रत्तं पित्तं पणासइ कुट्टं विणासो तहाचेव । 132 1 । हरणइ वालउ धारइ कत्थं कढिऊण चउत्थ भाएण । सक्कर सहिय पीयं सोणिय पित्तं णिवारेइ ।। 33 ।। पत्था वासउ दक्खा कत्थस सित्ताय रत्त पित्त गुल मिरिया दहि पीय रस पित्तयं च णासेइ ।। करवालं गुरिचवया एरंड तेलुवि तं पीयंतो णासइ वाइयरत्तं ण सरपुंसा जयमूलं तंदुल तोएण बहियं रविवारेणय पिज्जइ रत्तंगालो पणासेई ।। ३६ ।। जंभण जड तंदुल जल पीए मुहुरत थंमणं करइ । अहिकंहुं वरिमूलतं जलपीयावि तंजि अब हरइ । । ३६ । । हरणइ दाडिमफुल्ला दुद्धारस लक्खरसय समभाए । णासो णासइ रूहरिं णासरणि वियप्पेण गोहुमजड तंदुल जल पिट्ठा मुहुरत्त थंभणं करइ । जाइदला मुहिधरिया अहवा पाचं णिवारेइ । । जावासे जड चुण्णं तंदुल जलि पीयमाणौण । थंभइ मुहगय रत्तं जह सीया णिसियरे पसरे ।। 4011 तिहला सोंठि बिसाला कडुय पडोलाय तायमाणो य । दोणिसि गिलोय कत्थं महु सह मुहपाचयं हरइ ।। 41 ।। दारुणिसा गोक्खरुवं वेकरिसाईं कढियाइं पाणेण । गाडीवण मुह रोय णासइ जिम उनसमो रोसो ।। 4211 मयण भुया सगुरीयं तंबोल दला सदारु जामीय । कलमी तंदुल जुत्ता फुट्टा अहराय उवसमहि ।। 4311 विज्जवरा जाइदला एलधणा सुरही पिप्पली वाला । केलय महसह लेहो किणर कलगीय झुणि होइ ।। 44।। जाइदला गय पिप्पलि महु सह माहुलिंग कयसी हो । किणरस राण सरिसो होइ सरो मास मिक्केण ।। 45।। ।। ३८ ।। 3911 हरो । 34।। घिसह । 35 1 1 - सौजन्य : श्री कुन्दनलाल जैन -

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