Book Title: Anekant 1996 Book 49 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 74
________________ अनेकान्त / 36 नैतिक शिक्षा क्यों? --- वर्तमान भौतिक युग की चकाचौंध ने राष्ट्र एवं समाज का जितना चरित्र हनन किया है वह वर्णनातीत है । जिधर देखो उधर ही भ्रष्टाचार दृष्टिगोचर होता हैफिल्म एवं टीवी. के अश्लील कार्यक्रमों ने तो इसमें अग्नि में घृताहुति जैसा कार्य किया है। हम कहना चाहते हैं कि जब वर्तमान में कई शीर्ष नेताओं के हवाला तथा अन्य घोटाले जैसे विभिन्न काण्डों में लिप्तता के समाचार सुनते हैं तो आश्चर्यचकित, अवाक् रह जाते हैं "जब राजा ही अन्याय करे, तो प्रजा किसको याद करे।' और तो और साधु, संन्यासी का वेष धारण करने वाले जब कारावास में बन्द हों तब तो वीभत्स दृश्य समक्ष आ जाता है। सर्वस्व त्यागी - जिनका जीवन भिक्षावृत्ति पर निर्भर हो, वे मठों का स्वामित्व ग्रहण कर उनमें सांसारिक सुख-सुविधाओं के साधन जुटाने से परहेज न करें। ऐसी विपरीत प्रवृत्तियों को देख, भावी पीढ़ी का कैसा दृष्टिकोण निर्मित होगा? ऐसी सभी वृत्तियाँ राष्ट्रीय और सामाजिक परम्पराओ का ध्वंस करने वाली हैं। इनका प्रभाव भावी पीढ़ी पर ऐसा ही पडेगा जैसे घर में बैठा पिता अपने बच्चे से कहे कि - आगन्तुक से कह दे कि 'पिताजी ने कहा है कि वह घर पर नहीं है- घर में नहीं हैं, आदि । ऐसी विषम परिस्थितियों में हमें भावी पीढी के कर्तव्यपरायणता एवं नैतिक मूल्यों की जानकारी देना अति आवश्यक हो गया है ताकि वें भले-बुरे में भेद कर सकें। हमें प्रसन्नता है कि इस दिशा में कई संस्थाओं ने पग बढ़ाया है। ऐसी संस्थाओं में भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा, भा. दिगम्बर जैन परिषद् एवं दिल्ली की दिगम्बर जैन नैतिक शिक्षा समिति आदि स्मरणीय हैं। राजकीय क्षेत्र में दिल्ली सरकार ने भी नैतिक शिक्षा के महत्त्व को स्वीकार कर इस ओर ध्यान दिया है। आशा है कि समाज के सतप्रयत्नों से इस विषय में भावी नागरिकों को शिक्षित कर, आदर्श स्थिति निर्मित होगी ताकि भविष्य में इन राष्ट्रीय एवं सामाजिक बुराइयों की पुनरावृत्ति न हो ।

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