Book Title: Anekant 1940 08
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 28
________________ *50 अनेकान्त ६ गोविन्द II प्रभूतवर्ष दक्षिण- शाखा गोविन्द III (गोविन्द) प्रभूतवर्ष, जगत्तुंग, श्रीवल्लभ, पृथ्वीवल्लभ (इ०स० ७९४ ८१४) ९ शर्व अमोघवर्ष 1 नृपतुंग ( ई० सन् ८१४-८५७) अतिशयधवल (वीरनारायण) १० कृष्ण II (कन्नर) अकालवर्ष, शुभतुंग (८७७-९१३) जगतुंग● ११ इन्द्र III (नित्यवर्ष ) T १२ अमोघवर्ष १३ गोविन्द (गभीन्दर ) प्रभूतवर्ष * यह 'अलब्ध राज्यः सदिवं विनिन्ये "धात्रा' (प्रा०ले०मा० नं० १३३ और १५६) इस वाक्यके अनुसार पट्टाभिषेक के पहिले ही मर गया मालूम पड़ता है। + बडेग (डिग ) - यह बहुश: कर्नाटक भाषाका नाम ही मालूम पड़ता है । "बर्देन्दु प्रौढी" । (शब्दमणिदर्पण ) से बने हुए 'बदेंग, ( = प्रौढ ) का रूपा [ श्रावण, वीर निर्वाण सं०२४६६ ७ ध्रुव I (घोर) निरूपम, धारावर्ष, कलिवल्लभ गुजरात - शाखा' १ इन्द्र III २ कर्क ( क्क्क) II (अमोघवर्ष) ३ ध्रुव II (निरुपम ) ४ अकालवर्ष (शुभ तुंग) ५ ध्रुव III अतितुंग, निरुपम, धारावर्षं ६ (कृष्ण अकालवर्ष ) १५ कृष्ण III (कन्नर, इसिवकन्नर ) १६ खोटिंग अकालवर्ष नित्यवर्ष १८ इन्द्र IV (ई० सन् ९८२ में मर गया ) १४ बडेग (वड्डिग) अमोघवर्ष III निरुपम १७ कक्क II (कक्कल) अमोघवर्ष, नृपतुंग, वीरनारायण न्तर होगा ? 'पंप-भारत' में (१-२३ इत्यादि ) 'बहेग' यह नाम है । + खोडिग (कोदिग) संभवत: कन्नड शब्द होगा । यह बहुशः 'कोहु' ( = किरीट ) से शायद 'कोहिग' ( = किरीट ) अर्थात् 'नरेश' ( अथवा 'अर्जुन') इस प्रकारका अर्थ हुआ होगा ।

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