Book Title: Anekant 1940 08
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 32
________________ २८४ भनेकान्त [श्रावण, वीर निर्वाण सं०२४६६ प्रभूतवर्ष गोविन्दराज शौर्येषु विक्रम "जगत्तुंग सूर्यग्रहण दिन समाप्त होजानेको कहनेसे वह इति श्रुतः । अथ स कीर्तिनारायणो जगति ॥ तिथि ई० सन् ८६६ के जून ता० १६ के दिन होती अरिनृपतिमुकुटपट्टितचरणस्सकल भुवनवलयविदितशीयः। है। वह साल नृपतुगंका राज्य भारकालका ५२ वंगांगमगधमालववेंगीशैरचितोतिशयधवलः ॥ वाँ वर्ष कहा जानसं वह ई० स० ८१५ में गद्दी पर स्वस्ति समधिगतपंचमहाशब्द-महाराजाधिराज. बैठा होगा । बैसे ही उनके अन्य शासनोंसे उसने परमेश्वरभट्टारक चतुरुदधिवलयवालयुतसकलधरातल-प्रा ई० स० ८७७ तक यानी करीब ६२-६३ साल तक तिराज्यानेकमंडलिकर्कलाकटककटिसूत्र-कुण्डलकेयर-हा- प्रजा-परिपालन किया, ऐसा मालम पड़ता है । राभरणालंकृत...."अमोघरामं परचक्रपंचानन...... अतः इसके नामका ई० स० ८७० का शासन "बहे : मनोहरं अभिमानमंदिरं रहवंशोद्भवं सोरब नं ८५ वा । इसके अन्तिम साल में लिखा गरुड़लांछनं तिविलियपरे घोषणं लहलूरपुरपरमेश्वरं गया होगा । इतना ही नहीं उस वक्त वह सिंहाश्रीनृपतुंगनामांकित-लक्ष्मीवल्लभेन्द्रना चन्द्रादित्यर सनासीन होगा, ऐसा उससे निष्पन्न होता है । कालं वरेग महाविष्णुवराज्यंबोल् उत्तरोत्तर राज्याभि इसे गद्दी पर बैठते वक्त कमसे कम यानी १८ वृद्धिसलुत्तिरे शवनपकाला-तीतसंवत्सरंगल एलनूर'.. ... या २० सालका तो अवश्य होना चाहिये, इस तोंबत्तेएटनेय व्ययमेव संवत्सरं प्रवर्तिसे श्रीमदमोघवर्ष- प्रकार मानने पर इसका शासन समय समाप्तहोते नपतुंग-नामांकितना विजयराज्यप्रवर्द्धमानसंवत्सरंगल वक्त इसे ८१ या ८३ वर्षसे ऊपरका होना चाहिये। अप्वत्तेरडं उत्तरोत्तर राज्याभिवृद्धिसलत्तिरे अतिशय- इससे भी ज्यादा ही होना चाहिये न कि कम धवक्षनरेन्द्रप्रसाददिदममोघ वर्षदेव-पदपंकजभ्रमरं ... ... इतना कह सकते हैं । अतः इसके समयके ५२ वें ज्येष्ठ मासदमास्यु प्रादित्यवारमाशिसूर्यग्रहणदन्दु...... वर्षके शासनमें 'सवोव्यात्' इस प्रकारका हरिनागार्जुननं बेसगे सिरिगाउंडनएल्लु पुदिदुदु ॥ हर-स्तुति-सम्बन्धी शिरोलेख रहनेसे तब तक उसने जैनधर्मको ग्रहण नहीं किया ऐसा कहनेमें ___ यह शालिवाहन शक के ७८७ वर्ष व्यतीत . कोई आक्षेप नहीं दीखता । हमारे अनुमानके अनुहोकर ७८८ के व्यय संवत्सरके ज्येष्ठ ब० ३० सार तब उसकी करीब ७०-७२ तक अवस्था होनी यह 'प्रभूतवर्ष' (जगत्तुंग) ऐसा गोविन्दराज चाहिये । यह शा० श० ७९७ में (ई० सन नृपतुङ्गका पिता है। ८७५ ) गद्दी अपने पुत्रको छोड़कर राज्यकारसे निवृत हुआ, इस प्रकार श्रीमान्. के. बी. पाठक में यह 'बई' ऐसा शब्द 'बर्दु' (बर्देन्दु प्रौडि) ____tE.C., Vol. VIII., Pt. II (स्वस्त्यमोघउसीका रूपान्तर होगा? बर्षवल्लभमहाराजाधिराजपरमेश्वरभट्टारका पृथवीराज्यं * एल्लुबरह, यह 'एल्लु' शब्द आधुनिक गेये......... शकवर्षमेलनूरतोंभतोंभतनेय संवत्सरंकनडीमें नहीं, परन्तु तामिल, मलैयाल भाषामें सर्व- प्रवर्तिसे.........|| इस लेख में देवता-स्तुति शिरोलेख सामान्य है। नहीं है।

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