Book Title: Anekant 1940 08
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 62
________________ ६१४ अनेकान्त दिया कि 'हम अपनी मर्यादासे बाहर नहीं जा सकते । तुम्हें स्वतन्त्र कर देते हैं। तुम बलवानकी अहिंसाका प्रयोग करनेके लिये स्वतन्त्र हो ।" हमारी दुर्बल अहिंसक नीति आज तक हमने जो अहिंसाकी साधनाकी, उसमें यह बात रही कि हम अहिंसा के द्वारा अंग्रेजों से सत्ता छीन लेंगे । हम उनका हृदय परिवर्तन नहीं करना चाहते थे | हमारे दिल में करुणा नहीं थी; क्रोध और द्वेष था । गालियां तो हममें भरी थीं। हम यह नहीं मानते थे कि उनका हृदय बिगड़ा है, वे हमारी दया के पात्र हैं। हम तो यही मानते थे कि चोर और लुटेरे हैं । इनको अगर हम मार सकते तो अच्छा होता । इसी वृत्तिसे हमने असहयोग और सविनय भंग किया । जेलमें जा कर बैठे; वहां नखरे किये । 'अहिंसा' के नामका प्रभाव परन्तु इसमें से भी कुछ अच्छा परिणाम निकल आया । अहिंसा हमारी ज़बान पर थी । उसका कुछ शुभ परिणाम हुआ । थोड़ी-बहुत सफलता मिल गयी। राम नामके विषय में हमने सुना है कि राम नामसे हम तर जाते हैं, तो फिर स्वयं राम जावे तो क्या होगा ? अहिंसा के नाम ने भी इतना किया; तो फिर अगर दर असल हममें सच्ची हिंसा जावे, तो हम आकाश में उड़ने लगेंगे । जो शक्ति हिटलरके हवाई जहाजोंमें नहीं है, वह उड़ने की शक्ति हममें होगी। हमारा शब्द आकाश गंगा को भी भेदता हुआ चला जायगा। यह जमीन आसमान हो जायगी । [ श्रावण, वीर निर्वाण सं ०२४६ गांधी सेवा संघ क्या करे ? 1 आज तक गांधी सेवा संघने जो काम किया वह निकम्मा काम था; लेकिन सच्चे दिलसे किया था । इसलिये बिल्कुल निष्फल नहीं हुआ । हम गलती कर रहे थे, लेकिन उसके पीछे धोखेबाजी नहीं थी । फिर भी जो कुछ किया, वह हमारा भूषण नहीं कहा जा सकता । आज परीक्षाका मौका आ गया । काँग्रेस के महाजन तो उत्तीर्ण नहीं हुए। अब देखना है, गाँधी सेवा संघ क्या कर सकता है ? गांधी सेवा संघके लोग अगर जनता में अहिंसाकी जागृति कर सकेंगे, तो काँग्रेस के महाजनों को भी खशीं होगी। काँग्रेसके लोग अगर महाजनों से कहेंगे कि आप क्यों कहते हैं कि अहिंसाका पालन नहीं हो सकता; हम तो अहिंसक हैं और रहेंगे, तो कांग्रेस के महाजन नाचेंगे । आप लोग गाँधी सेवा संघ मानने वाले हैं। आपमें से कुछ काँग्रेस में हैं, कुछ नहीं हैं। मैं तो वहां नहीं रहा । अब जिन लोगों के नाम कांग्रेस के दफ्तर में दर्ज हैं, वे अगर अहिंसक हैं तो उन्हें कार्य समिति से कहना चाहिये कि हम अहिंसा में ही मानते हैं । लेकिन यों ही कह देने से काम नहीं चलेगा। आपके दिलों में सच्ची अहिंसा होनी चाहिये । इस तरह की अहिंसा अगर कांग्रेस सदस्यों में है, तो आल इन्डिया काँग्रेस कमेटीमें वे कहेंगे, काँग्रेसका अधिवेशन होगा, उसमें भीं कहेंगे कि हम तो अहिंसक हैं । जब तक आप समझते हैं कि आप का हिंसाका टट्टू कांग्रेस में चल सकता है, तब तक वहाँ रहें, नहीं तो निकल जायँ । कांग्रेसका धर्म एक रहे और आपका दूसरा, इससे कार्य नहीं

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