Book Title: Anekant 1940 08
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 59
________________ वर्ष ३. किरण 101 वीरोंकी अहिंसाका प्रयोग अहिंसा दर-असल सामाजिक धर्म है ? क्या हम व्यक्तिकी बराबरी नहीं कर सकता । वह तो शस्त्र उस पर डटे रहें: या उसे छोड़ दें ? इन सारी का सहारा चाहता है, इसलिये वह अशक्त है । बातोंका निर्णय आपको करना है । अहिंसाकी अहिंमा अशक्तोंका शस्त्र नहीं है। शक्ति अपने जीवन द्वाराप्रगट करना हमारा मेरा दोष कर्तव्य है। ____ तो फिर आप पूछेगे कि मैंने जनतासे उस हमने आज तक अहिंसाका शस्त्रका प्रयोग क्यों करवाया ? क्या उस वक्त मैं प्रयोग नहीं किया यह नहीं जानता था ? मैं जानता तो था । लेकिन उस वक्त मेरी दृष्टि इतनी शुद्ध नहीं हुई थी। अगर हम यह कर्तव्य नहीं कर सके, इसका अनुभव उस वक्त मेरी दृष्टि शुद्ध होती, तो मैं लोगोंसे कहता कल हुआ। काँग्रेसके महामंडलने ( हाई कमाण्ड कि 'मैं आपसे जो कुछ कह रहा हूँ, उसे आप ने ) कल जो प्रस्ताव किया, उस परसे साफ़ है कि अहिंसा न कहें । आप अहिंसाके लिये लायक नहीं हम परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हुये। वह महामंडल के हैं; डरसे भरे हुये हैं। आपके दिलमें हिंसा भरी लिये शर्मकी बात नहीं है। वह तो मेरे लिये शर्म हुई है। आप अंग्रेजोंसे डरते हैं । अगर आप हिंदू की बात है । मुझमें इतनी शक्ति नहीं है कि मेरी हैं तो मुसलमानसे डरते हैं;अगर आप मुसलमान बात तीर जैसी सीधी उनके हृदय तक पहुँच सके। हैं तो तगड़े हिन्दुओंसे डरते हैं । इसलिये मैं जो कांग्रेसमें भी तो मैं मुख्य कार्य-कर्ता रहा। उनके प्रयोग आपसे करा रहा हूँ वह अहिंसाका प्रयोग दिलों पर मैं अपना असर नहीं कर सका। इसमें नहीं है । सारा डरपोकोंका समाज है। उनमें से शर्म तो मेरो है । इससे यह सिद्ध हुआ है कि आज एक डरपोक आदमी मैं भी हूँ।" यह सब मुझे तक जिस अहिंमाका आश्रय लिया, वह सच्ची साफ़ २ कह देना चाहिये था । मुझे यह कह देना अहिंसा नहीं थी। वह निःशस्त्रों की अहिंमा थी। चाहिये था कि 'हम प्रतिकारकी जिस नीतिका प्रयोग लेकिन मैं तो कहता हूँ कि अहिंसा बलवानोंका कर रहे हैं वह सच्ची अहिंसा नहीं है।' मैंने ग़लत शस्त्र है। हमने आज तक जो कुछ किया, वह भाषाका प्रयोग किया । अगर मैं ऐसा न करता, तो अहिंसाके नाम पर दूसरा ही कुछ किया । उसको यह करुण कथा, जो कल हुई, असम्भव थी। आप और कुछ भी कह लीजिये; लेकिन अहिंसा इसलिये मैं अपने आपको दोषी पाता हूँ । नहीं कह सकते । वह क्या था, यह मैं नहीं बता सकता । वह तो आप काका साहब, बिनोबा या हमारा हेतु शुद्ध था किशोरलालस पूछे । वे बता दें कि हमने जो आज वह करुण कथा तो है,लेकिन फिर भी मुझे उस तक किया, उसे कौनसा नाम दिया जाय । लेकिन का दुःख नहीं है । हमने ग़लत प्रयोग भले ही किया मैं इतना जानता हूँ कि वह अहिंसा नहीं थी। मेरे हो, लेकिन शुद्ध हृदयसे किया । जो अहिंसा नहीं नज़दीक तो शस्त्रधारी भी बहादुरीमें अहिंसक थी उसे अहिंसा मानकर अपना काम किया ।

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