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7. अहिंसक समाज-रचना
152-172 -युवाचार्य महाप्रज्ञ (अणुव्रत दर्शन, पृ. 87) 1. अहिंसा की पृष्ठभूमि
152-154 2. अहिंसा की सफलता
154 3. अहिंसा और स्वतंत्रता 4. राष्ट्रीय एकता की समस्या और समाधान की दिशा-अणुव्रत 156-159 5. आध्यात्मिक समतावाद
159-163 आत्मतुला का विस्तार 6. अहिंसक समाज-संरचना की संभावना
163-166 हिंसक समाज और अहिंसक समाज, पुरुषार्थ का संतुलन, व्यक्ति और
समाज, अहिंसा : संस्कार-परिवर्तन की प्रक्रिया। 7. अहिंसक समाज-व्यवस्था
166-172 -युवाचार्य महाप्रज्ञ (अणुव्रत दर्शन, पृ. 107) अहिंसक समाज-व्यवस्था : तीन भूमिकाएँ, शासन मुक्तया शासन युक्त ?, व्यक्तिगत स्वामित्व, व्यक्तिगत स्वामित्व की सीमा क्या होगी?, सुरक्षा की निर्भरता, मूल्यों का परिवर्तन।
खंड द्वितीय : प्रयोग
1. कायोत्सर्ग
175-192
-मुन किशनलाल (जीवन-विज्ञान) 2. आसन
__-मुनि किशनलाल (आसन और प्राणायाम) आसन क्या और क्यों? आसन और शक्ति-संवर्धन, आसन और स्वास्थ्य, आसन का उद्देश्य । आसन-प्राणायाम के आवश्यक विधि-निषेध सावधानियाँ
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