Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 05
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi

View full book text
Previous | Next

Page 206
________________ , // श्री आगम-महिमा // 1 आर्हन्त्यं शुभसाधनैरभिमतं कर्माऽपि बन्धे हितं, यच्च त्वं त्रितयं भवस्य भवनैर्गुण्यं विदन् शिष्टवान् / तन्नूनं महतां परार्थपरता सत्या परं सत्कला ऽसावाप्यामलकेवलं यदि भणेच्छ्रेणि सदाप्तागमीम् // 1 // प्राप्याऽशेषजगद्विलोकनपरं ज्ञानं निहत्याऽशुभा- या ऽदृष्टश्रेणिमपारसारवलयुक्श्रेण्या क्षपण्या प्रभुः / ... .. देवेन्द्रावलिसंहृतामतितरां--पूजामधिष्ठाय च, . .. कुर्वन्नागमसन्ततिं सफलताभाग् नान्यथा हि प्रभुः // 2 // पूजाप्रौढो जिनेशो न नमति निखिलाभीष्टसिद्धया कृतार्थो, देवालिप्राभृतं सत् सुकृततरुफलं सेवयन् कञ्चिदन्यम् / .. धन्यं तूदामधर्मा नमति मुनिगणं द्योतयन् स्वं कृतज्ञ, :.... यन्मेऽदः सन्जिनत्वं मुनिगणपधृतादागमादेव जातम् // 3 // सुरविसरसंस्तृतं मुनिमधुपमालितं सफलशरणदायिनं, नमत नम्रमौलयोऽधिकृतसत्फलोर्मयः सदागमालिदर्शिनम् / फलं जिनेन्द्रपादपे वरे गताधिसंतपे सदागमोपदेशनं, तदेव तीर्थमुद्दिशन भवालिमोक्षमादिशन् सदा सुकृतसारको जिनेश एव नापरः // 4 // मज शास्त्रालि भज शास्त्रालिं शास्त्रालिं. भज' शुद्धमते.! , जनपतिगदितां गणपतिविततां मुनिजनमान्यतरां विमलाम् / / P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247