Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 372
________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) एवं शतकं 10 उ०४] [31 वीइवएज्जा ?, हंना वीइवएजा 13 / सा भंते ! किं विमोहित्ता पभू तहेव जाव पुब्बिं वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा एए चत्तारि दंडगा 14 // सू० 401 // वासस्स णं भंते ! धावमाणस्स. किं खुखुत्ति करेति ?, गोयमा ! श्रासस्स णं धावमाणस्स हिदयस्स य जगयम्स य अंतरा एत्थ णं कब्बडए नामं वाए संमुच्छइ जेणं श्रासस्स धावमाणस्स खुखुत्ति करेइ // सू० 402 // अह भंते ! श्रासइस्सामो सइस्लामो चिट्ठिस्सामो निसिइस्सामो तुयट्टिस्सामो, श्रामंतणि श्राणवणी जायणि तह पुच्छणी य पराणवणी। पञ्चक्खाणी भासा भासा इच्छाणुलोमा य // 1 // श्रणभिग्गहिया भासा भासा य अभिग्गहमि बोद्धया। संसयकरणी भासा वोयडमधोयडा चेव // 2 // पन्नवणी णं एसा न एसा भासा मोसा ?, हता गोयमा ! श्रासइस्सामो तं चेव जाव न एसा भासा मोसा। सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति // सूत्रं 403 // दसमे सए तईश्रो उद्देसो // // इति दशमशतके तृतीय उद्देशकः / / 10-3 // // अथ दशमशतके श्यामहस्तिनामक-चतुर्थोद्देशकः // तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नाम नयरे होत्था वन्नो, दूतिपलासए चेइए, सामी समोसढे, जाव परिसा पडिगया 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जे? अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे जाव उड्डजाणू जाव विहरइ 2 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो मेहावीरस्स अंतेवासी सामहत्थी नाम श्रणगारे पयइभदए जहा रोहे जाव उहजाणू जाव विहरइ 3 / तए णं ते सामहत्थी अणगारे जायसड्ढे जाव उटाए उ?त्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता भगवं गोयमं तिक्खुत्तो जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-त्थि णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुर


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