Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 11 : उ० 11 ] [ 367 यायो, अट्ठ नाडइजात्रों, अट्ट कोडविणीश्रो, अट्ठ महाणसिणीओ, अट्ठ भंडागारिणीयो, अट्ट अज्झाधारिणीयो, अट्ठ पुप्फधरणीयो, अट्ठ पाणिधरणीयो, अट्ठ बलिकारीयो, अट्ट सेजाकारीयो, अट्ठ अभितरियायो पडिहारीयो, अट्ठ बाहिरियारो पडिहारीयो, अट्ठ मालाकारीयो, अट्ठ पेसणकारीयो, अन्नं वा सुबहुं हिरन्नं वा सुवन्नं वा कंसं वा दूसं वा विउलधण-कणग जाव संत-सार-सावएज्जं अलाहि जाव भासत्तमात्रो कुलवंसायो पकामं दाउं पकामं भोत्तुपकामं परिभाएउं 2 / तए णं से महब्बले कुमारे एगमेगाए भजाए एगमेगं हिरनकोडिं दलयति, एगमेगं सुवनकोडिं दलयति, एगमेगं मउडं मउडप्पवरं दलयति, एवं तं चेव सव्वं जाव एगमेगं पेसणकारिं दलयति अन्नं वा सुबहुं हिरन्नं वा जाव परिभाएउं, तए णं से महब्बले कुमारे उर्षि पासायवरगए जहा जमाली जाव विहरति 3 // सूत्रं 430 // तेणं कालेणं 2 विमलस्स अरहयो पोप्पए धम्मघोसे नामं अणगारे जाइसंपन्ने वनो जहा केसिसामिस्स जाव पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिबुडे पुवाणुपुरि चरमाणे गामाणुगामं दूतिजमाणे जेणेव हत्थिणागपुरे नगरे जेणेव सहसंबवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ 2 ग्रहापडिरूवं उग्गहं श्रोगिराहति 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति 1 / तए णं हथिणापुरे नगरे सिंघाडगतिय जाय परिसा पन्जुवासइ 2 / तए णं तस्त महब्बलस्स कुमारस्स तं महया जणसह वा जणवूहं वा एवं जहा जमाली तहेव चिंता तहेव कंचुइजपुरिसं सदावेति, कंचुइजपुरिसोवि तहेव अक्खाति, नवरं धम्मघोसस्स अणगारस्स श्रागमण-गहिय-विणिच्छए करयल जाव निग्गच्छइ, एवं खलु देवाणुप्पिया ! विमलस्स अरहयो पउप्पए धम्मघोसे नाम अणगारे सेसं तं चेव जाव सोवि तहेव रहवरेणं निग्गच्छति 2 / धम्मकहा जहा केसिसामिस्स, सोवि तहेव अम्मापियरो श्रापुज्छइ, नवरं धम्मघोसस्स अणगारस्त अंतियं मुडे भवित्ता
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