Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 424
________________ भीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12:: उ०१] [ 407 जाव विहरिस्सामो, तए णं तुमं पोसहसालाए जाव विहरिए तं सुठ्ठ णं तुमं देवाणुप्पिया ! अम्हं हीलसि 14 / अजोत्ति समणे भगवं महावीरे ते समणोवासए एवं वयासी-मा णं अजो ! तुज्झे संखं समणोवासगं हीलह निदह खिंसह गरहह अवमन्नह, संखे णं समणोवासए पियधम्मे चेव दढधम्मे चेव सुदक्खुजागरियं जागरिए 15 // सूत्रं 438 // भतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-कइविहा णं भंते ! जागरिया पराणत्ता ?, गोयमा ! तिविहा जागरिया पराणत्ता, तंजहा-बुद्धजोगरिया अबुद्धजागरिया सुदक्खुजागरिया 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ तिविहा जागरिया पराणत्ता तंजहा-बुद्धजागरिया 1 अबुद्धजागरिया 2 सुदक्खुजागरिया 3?, गोयमा ! जे इमे अरिहंता भगवंता उप्पन्न-नाण-दसणधरा जहा खंदए जाव सवन्नू सव्वदरिसी एए णं बुद्धा बुद्धजागरियं जागरंति, जे इमे अणगारा भगवंतो ईरियासमिया भासासमिया जाव गुत्तवंभचारी एए णं श्रबुद्धा अबुद्धजागरियं जागरंति, जे इमे समणोवासगा अभिगयजीवाजीवा जाव विहरन्ति एते णं सुदक्खुजागरियं जागरिति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ तिविहा जागरिया जाव सुदक्खुजागरिया 2 // सूत्रं 431 // तए णं से संखे समणोवासए समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 एवं वयासी-कोहवसट्टे णं भंते ! जीवे किं बंधए ? किं पकरेति ? किं चिणाति ? किं उवचिणाति ?, संखा ! कोहवस? णं जीवे पाउयवजायो सत्त कम्मपगडीयो सिदिलबंधणबद्धाश्रो एवं जहा पढमसए असंवुडस्स अणगारस्स जाव अणुपरियट्टइ 1 / माणवस? णं भंते ! जीवे एवं चे 2 / एवं मायावसट्टवि एवं लोभवसझेवि जाव अणुपरियट्टइ 3 / तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियं एयमढे सोचा निसम्म भीया तत्था तसिया संसारभउठिवग्गा समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति 2 जेणेव संखे

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