Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 449
________________ 432 ] [ भीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः अयाणं उचारेण वा जाव गहेहि वा अणक्कंतपुव्वे, णो चेव णं एयंसि एमहालगंसि लोगंसि लोगस्स य सासयं भावं संसारस्स य अणादिभावं जीवस्स य णिचभावं कम्मबहुत्त जम्मगामरणबाहुल्लं च पडुच्च नस्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्तेवि पएसे जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा न मए वावि, से तेण?णं चेव जाव न मए वावि 5 // सूत्रं 457 // कति णं भंते ! पुढवीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! सत्त पुढवीयो पराणत्तायो जहा पढमसए पंचमउद्देसए तहेव श्रावासा ठावेयव्वा जाव अणुत्तरविमाणेत्ति जाव . अपराजिए सव्वट्ठसिद्धे 1 / अयन्नं भंते ! जीवे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए नरगत्ताए नेरइयत्ताए उववन्नपुव्वे ?, हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो 2 / श्रयन्नं भंते ! जीवे सकरप्पभाए पुढवीए पणवीसा एवं जहा रयणप्पभाए तहेव दो श्रालावगा भाणियब्वा, एवं जाव धूमप्पभाए 3 / श्रयन्नं भंते ! जीवे तमाए पुढवीए पंचूणे निरयावाससयसहस्से एगमेगंसि सेसं तं चेव, अयन्नं भंते ! जीवे अहेसत्तमाए पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु महानिरएसु एगमेगंसि निरयावासंसि सेसं जहा रयणप्पभाए, अयन्नं भंते ! जीवे चोसट्टीए असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताए देवीत्ताए पासण-सयण-भंडमत्तोवगरणत्ताए उवयन्नपुव्वे ?, हंता गोयमा ! जाव अणंत खुत्तो 4 / सव्वजीवावि णं भंते ! एवं चेव, एवं थणियकुमारेसु, नाणत्तं श्रावासेसु, श्रावासा पुव्वभणिया 5 / अयन्नं भंते ! जीवे असंखेज्जेसु पुढविकाइयावास-सयसहस्सेसु एगमेगसि पुढविकाइयावासंसि पुदविकाइयत्ताए जाव वणस्सइ-काइयत्ताए उववन्नपुव्वे ?, हंता गोयमा ! जाव अणंतखुत्तो एवं सव्वजीवावि, एवं जाव वणस्सइकाइएसु 6 / श्रयगणं भंते ! जीवे असंखेज्जेसु बेंदियावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि

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