Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 447
________________ 430 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः सूरे प्राइच्चे ?, गोयमा ! सूरादिया णं समयाइ वा प्रावलियाइ वा जाव उस्सप्पिणीइ वा अवसप्पिणीइ वा से तेणटेणं जाव सूरे श्राइच्चे 2 // सूत्रं 455 // चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो कति अग्गमहिसीयो पराणत्तायो जहा दसमसए जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियं 1 / सूरस्सवि तहेव 2 / चंदमसूरिया णं भंते ! जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पचणुब्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे पढम-जोव्वणुट्ठाण-बलत्थे पढमजोव्वणुढाणबलट्ठाए भारियाए सद्धिं अचिरवत्त-विवाहकज्जे अत्थ-गवेसणयाए सोलस-वास-विप्पवासिए से णं तयो लट्ठ कयकज्जे अणहसमग्गे पुणरवि नियगगिहं हव्वमागए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सब्वालंकारविभूसिए मणुन्नं थालिपागसुद्धं श्रद्वारसवंजणाकुलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसि वासघरंसि वन्नयो महब्बले कुमारे जाव सयणोवयारकलिए ताए तारिसियाए भारियाए सिंगारागार-चारुवेसाए जाव कलियाए अणुरत्ताए अविरत्ताए मणाणुकूलाए सद्धिं इ8 सहे फरिसे जाव पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पचणुभवमाणे विहरति 3 / से णं गोयमा ! पुरिसे विउसमण-कालसमयंसि केरिसयं सायासोक्खं पचणुब्भवमाणो विहरति ?, योरालं समणाउसो !, तस्स णं गोयमा ! पुरिसस्स कामभोगेहितो वाणमंतराणं देवाणं अणंतगुणविसिट्टतराए चेव कामभोगा, वाणमंतराणं देवाणं कामभोगेहितो असुरिंदवजियाणं भवणवासीणं देवाणं एत्तो अणंतगुण-विसिट्टतराए चेव कामभोगा, असुरिंदवजियाणं भवणवासियाणं देवाणं कामभोगेहितो असुरकुमाराणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिट्ठतराए चेव कामभोगा, असुरकुमाराणं देवाणं कामभोगेहितो गहगण-नक्खत्त-ताराख्वाणं जोतिसियाणं देवाणां एत्तो अनंतगुण-विसिद्वतराए चेव कामभोगा, गहगणनक्खत्त जाव कामभोगेहितो चंदिमसूरियाणां जोतिसियाणां जोतिसराईगां एत्तो श्रणंतगुण-विसिट्टयरा चेव कामभोगा 4 / कचराभवमाणे खाद बड़े सहा जाव कलियापारकलिए तार तारिसगांस

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