Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 444 ] [ श्रीमदागर्मसुधासिन्धुः :: द्वितीयो विभागः अवत्तव्वं श्रआयाति य नो श्रायाति य 3 देसे आदितु सञ्भावपजवे देसे श्रादिट्टे असब्भावपजवे चउभंगो, सब्भावपज्जवेणं तदुभयेण यं चउभंगो असब्भावेणं तदुभयेण य चउभंगो, देसे श्रादितु सम्भावपजवे देसे आदि8. असम्भावपजवे देसे श्रादिट्ट तदुभयपजवे चउप्पएसिए खंधे पाया य नो आया य अवत्तव्वं प्रायाति य नो आयाति य, देसे श्रादि? सब्भावपजवे देसे श्रादि8 असम्भावपजवे देसा आदिट्ठा तदुभयपजवा चउप्पएसिए खंधे भवइ अाया य नो पाया य अवत्तव्वाइं पायाश्रो य नो पायायो य 17.. देसे आदितु सम्भावपज्जवे देता अादिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे श्रादि? तदुभयपजवे चउप्पएसिए खंधे आया य नो पायायो य अवत्तज्वं प्रायाति य नो आयाति य 18 देसा बाइट्टा सब्भावपजवा देसे श्राइ? असब्भावपजवे देसे प्राइ8 तदुभयपजवे चउप्पएसिए खंधे आयायो य नोभाया य अवत्तव्यं पायाति य नो श्रायाति य 11 से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ चउप्पएसिए खंधे सिय पाया सिय नो श्राया सिय अवतव्वं, निक्खेवे ते चेव भंगा उच्चारेयन्वा जाव नो आयाति य 14 / श्राया भंते ! पंचपएसिए खंधे अन्ने पंचपएसिए खंधे ?, गोयमा ! पंचपएसिए खंधे सिय आया 1 सिय नो आया 2 सिय अवत्तव्वं श्रआयाति य नो श्रआयाति य 3 सिय पाया य नो पाया य सिय अवत्तव्वं 4 नो अाया य अवत्तव्वेण य 4 तियगसंजोगे एको ण पडइ 15 / से केण?णं भंते ! तं चेव पडिउच्चारेयव्वं ?, गोयमा ! अप्पणो श्रादितु श्राया 1 परस्स श्रादितु नो पाया 2 तदुभयस्स श्रादि8 अवत्तव्वं 3 देसे श्रादि? सब्भावपजवे देसे श्रादिट्टे असम्भावपजवे एवं दुयगसंजोगे सव्वे पडंति तियगसंजोगे एको ण पडइ 16 / छप्पएसियस्स सव्वे पडंति जहा छप्पएसिए एवं जाव अणंतपएसिए 17 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 18 // सूत्रं 4-61 // दसमो उद्दे सो समतो॥ बारसमं सयं समत्तं // // इति द्वादशमशतके दशम उद्देशकः // 12-10 // // इति द्वादशमं शतकम् // 12 //
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